प्रकाशित व प्रसारित खबर का असर – उत्तर कोयल नहर पथ पर गढ़ा को भरने का कार्य प्रारंभ


अम्बा ( औरंगाबाद ) खबर सुप्रभात समाचार सेव


अम्बा थाना क्षेत्र के एरका -जग ई उत्तर कोयल नहर पथ पर बने बड़े बड़े गढ़ा को भरा जा रहा है। बताते चलें कि यह पथ वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहा था। जगह-जगह दो से तीन फ़ीट तक गढ़ा बन गया था। मामूली बारिश होने पर सवारी वाहन और बाइक क्या पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता था। कब दुर्घटना घटित हो जायेगा यह आशंका हमेशा बना रहता था। पहले से गढ़ा और उत्तर कोयल नहर का जिर्णोधार कार्य चलने से पथ पर मीट्टी का जमाव और ही स्थिति गंभीर बन गया था। लेकिन इसकी चिंता नहीं अधिकारियों और नहीं नेताओं तथा जनप्रतिनिधियों को था। फलस्वरूप ग्रामीणों में गुस्सा और असंतोष फैल रहा था। खबर सुप्रभात अपने न्यूज पोर्टल तथा यूट्यूब चैनल पर लगातार संवाद प्रकाशित तथा प्रसारित प्रमुखता से कर रहा था। लगातार खबर प्रसारित और प्रकाशित होने से अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट हुआ और कुछ जगहों पर गढ़ों को भरा गया है। लेकिन अभी भी कई जगहों पर गढ़ा बना हुआ है तथा लोगों को अपेक्षा है कि सभी गढ़ों को अविलंब भर कर तत्काल याता यात को सुलभ बनाया जाये। इस संबंध में कई ग्रामीणों ने खबर सुप्रभात को बताया कि यदि स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों तथा अधिकारियों के द्वारा इस समस्या पर ध्यान रहता तो बर्षा शुरू होने के पूर्व सभी गढ़ों को भरा जा सकता था। ग्रामीणों का मांग है कि इस पथ का जिर्णोधार कार्य यदि अविलम्ब नहीं शुरू हुआ तो आगामी विधानसभा चुनाव 2025 में मुद्दा बनेगा और इसका जबाब जनप्रतिनिधियों तथा नेताओं को देना पड़ेगा। इसके अलावे ग्रामीणों में गुस्सा और असंतोष का यह भी कारण है कि कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र में सरकार प्रायोजित योजनाऐं भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ते रहा और योजना मद्द की राशि को बंदरबांट किया जा रहा है, जांच के नाम पर जांचकर्ता द्वारा दोषियों को बचाव करना, बिजली के अघोषित कटौती तथा वर्षों से जर्जर बिजली तार और खंभा, बिजली अधिकारियों तथा कर्मचारियों का मनमानी भी एक ज्वलंत सवाल है। ग्रामीणों का आरोप यह भी है कि स्थानीय पुलिस तंत्र पुरी तरह से मनमानी एवं अपने पदीये शक्ति को दुरपयोग कर अनैतिक धनोपार्जन करने के उद्देश्य से फर्जी मुकदमा और अनुसंधान करते रही है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में पुलिस असफल साबित हो रही है। लेकिन इसके लिए नहीं राजनैतिक दलों और नहीं जनप्रतिनिधियों द्वारा सड़क अथवा सदन में कभी आवाज उठाया गया है।