नाबालिगों का नाम पता न हो उजागर

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा


व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि नाबालिगों के साथ या नाबालिगों द्वारा हुए अपराध में अधिक से अधिक स्पेशल कानून का लाभ उनके सुरक्षा के मद्देनजर लगना चाहिए, जो अठारह साल से कम उम्र के लड़की का अपहरण का केस न्यायालय में आते हैं उसमें अपहरण के उद्देश्य अनुसंधान का विषय है अपहृत के बरामदगी के बाद यथाशीघ्र न्यायालय के अनुमति से मेडिकल जांच होनी चाहिए, अपहरण यदि 18 साल से कम उम्र के लड़की का हो तो लड़की का सहमति का लाभ अपहरणकर्ता को नहीं मिलता है , हमने बहुत से नाबालिग लड़की के अपहरण के केस को पोक्सो कोर्ट में दर्ज होते पाया है, किन्तु कुछ केस पोक्सो एक्ट में दर्ज न कर सिर्फ अपहरण की भादंवि या भा. न .स.धारा में दर्ज
हो जाती है जिससे नाबालिगों का नाम पता उजागर हो रहा है उसके और उसके परिवार के निजाता , प्रतिष्ठा, गरिमा और भविष्य समाज में प्रभावित हो रही है पोक्सो कोर्ट में नाम पता उजागर नहीं होता है और पीड़िता भी बहुत सुरक्षित महसूस करती है, पोक्सो कोर्ट में अभियुक्त को यदि पोक्सो एक्ट में दोषी न पाते हैं तो सिर्फ अपहरण के अपराध में सुसंगत धाराओं में सज़ा सुनाई जाती है, अधिवक्ता ने अंत में कहा कि मीडिया जगत से भी आग्रह है कि नाबालिग बच्चों के साथ हुई अपराध या नाबालिगों द्वारा किए अपराध में संवेदनशीलता और कर्तव्य को ध्यान में रखते हुए उसका नाम पता सार्वजनिक नहीं करना चाहिए चाहे वह घटना कितना भी गम्भीर प्रकृति का हो, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 74 में इसका उल्लेख है कि बच्चों का नाम-पता मीडिया में सार्वजनिक न करें।