मजदुरों की हक की लड़ाई लड़ने वाले एक युग पुरुष का हुआ अंत : जितेन्द्र सिंह

सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा


सी. सी.एल. के अरगड़ा, सिरका, रैलीगढ़ा साढुबेरा, माण्डु,कुज्जु परियोजना क्षेत्र में मजदुरों के हक एवं अधिकार की लड़ाई लड़ने वाला मसीहा का हुआ अंत । इस क्षेत्र के कोयलांचल के मजदुर अपनें प्रिय नेता कामरेड़ मिथिलेश कुमार सिंह की असामयिक मौत हो जानें से अनाथ एवं

नेतृत्व विहीन हो गये। बहुत दुर तक इनकी कमी को भरपाई करनें वाला कोई दुसरा नजर नहीं आता । यह कहना है जितेन्द्र सिंह ‘ परमार ‘ का । आज दिवंगत मजदुर नेता स्व. मिथिलेश कुमार सिंह के श्राद्ध कर्म के अवशर पर उनके के चित्र पर पुष्पांजली एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करते श्री जितेन्द्र सिंह के आँखों से अविरल अश्रु धार प्रवाहित हो रहे थें। स्व. मिलिलेश कुमार सिंह को श्रद्धांजली देनें हेतु झारखंड सरकार के कई मंत्री, विधायक, मजदुर नेता, अधिकारी के साथ – साथ हजारों की संख्या में कोलियरी के मजदुर उपस्थित थें। उपस्थित जनसमुह को अपने संवोधन में जितेन्द्र सिंह ‘ परमार ‘ नें मजदुर नेता स्व. मिथिलेश कुमार सिंह का एक संक्षिप्त जीवन परिचय दिया। स्व. मिथिलेश बावू औरंगाबाद (बिहार ) के सिमरा थाना क्षेत्र के एक छोटे से गाँव खड़ीहा से निकलकर रोजी – रोजगार हेतु रैलीगढ़ा कोलियरी पहुँचे थे। कोलियरी निजी कम्पनियों द्वारा संचालित होता था। जहाँ अफसर मजदुरों का शोषण किया करते थे। कोई मजदुरों के हीत की बात प्रवंधन से करनें से गुरेज करता था। तभी कॉ. मिथिलेश सिंह के लहु में उबाल आया। इन्होनें लाल झंड़े के नीचे मजदुरों को गोलबंद करना शुरू कर दिया । कोलियरी खतियानी रैयत विस्थापित संघ एवं मार्क्सवादी कोआर डिनेशन कमिटि के बैनर तले मजदुरों के हीत मेंआन्दोलन शुरू कर दिया। दिन प्रतिदिन स्थानिय मजदुरों का समर्थन मिलता गया। रैलीगढ़ा कोलियरी में लोड़िग मजदुरों की हक की लड़ाई लड़ते समय नब्वे के दशक में दिन के उजाले में प्रतिद्वंदी गुट से भीषण खुनी संघर्ष हुआ । सैंकड़ो की संख्या में बाहरी ठिकेदार के मजदुर दिन के उजाले में मार दिए गये। स्व. मिथिलेश बाबू पर मुकदमा हुआ, जेल राये, जिला बदर कर दिये गये। कालांतर में एक लम्बे समय के बाद वे केस से बरी हुए।
सुबह के छः बजे से रात्री के दस बजे तक मिलितेश बाबू के आवास पर जनता दरबार लग जाता था। दल की सीमायें समाप्त हो जाती थी। आसपास के किसी भी कोलियरी के किसी भी यूनियन से जुड़ा मजदुर जब कोई समस्या लेकर इनके पास आ जाता था, तो कभी निराश होकर नहीं लौटता था। मजदुर की हर समस्या का निपटारा पलक झपकते ही कोलियरी प्रवंधन से बात कर मिथिलेश बाबू सुलझा देते थे। ऐसे अविश्वसनीय प्रतिभा के घनी थे मजदुर नेता – स्व. कॉ. मिथिलेश बाबू ।