अम्बा ( औरंगाबाद ) खबर सुप्रभात समाचार सेवा
भारतमाला परियोजना के तहत निर्माण हो रहे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के लिए की जा रही भूमि अधिग्रहण के विरोध में भरतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने अंचल कार्यालय कुटुम्बा के प्रांगण में एक विशाल महा धरना दिया जिसमें लगभग पांच सौ की संख्या में महिला तथा पुरुष किसानों ने हिस्सा लिया ।

यह धरना दिन के ग्यारह बजे से संध्या चार बजे तक चला । इस धरना कार्यक्रम का संचालन भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रभारी विकास सिंह ने तथा अध्यक्षता कमला प्रसाद सिंह ने किया । धरना में आए किसानों ने अन्यायपूर्ण और नियम सम्मत भूमि अधिग्रहण ना होने का कड़ा विरोध किया ।भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने कहा कि एक्सप्रेसवे निर्माण में हमें जबतक उचित मुआवजा नहीं दिया जाता तबतक हम अपनी अपनी जमीनें नहीं देंगे । श्री सिंह ने कहा कि इसी जिला और इसी अंचल में सन्डा महाराजगंज से राँची फोर लेन सड़क का निर्माण होता है तब वहां के प्रभावित किसानों को तीस हजार छह सौ बीस रु प्रति डिसमिल के दर से ब्याज सहित चार गुणा करके मुआवजा राशि दी जाती है जबकि ठीक उसके बगल में एक ही जिला और एक ही अंचल होने के बावजूद भारतमाला परियोजना में हमारे जमीनों का दर मात्र आठ हजार रुपये प्रति डिसमिल तय किया गया है जो सरासर अन्याय है । उन्होंने बताया कि इस एक्सप्रेसवे से प्रभावित कुछ किसानों ने गया कमिश्नर कोर्ट में वाद दायर किया था जिसका फैसला भी कमिश्नर ने महाराजगंज रांची फोर लेन में मिले दर के बराबर ही निर्धारित किया है। सभी किसान बंधु गया कमिश्नर कोर्ट या पटना हाई कोर्ट जाने में सक्षम नहीं हैं इस स्थिति में भारतीय किसान यूनियन सरकार से मांग करता है कि तमाम प्रभावित किसानों को एक समान 30620 रू के दर से ब्याज सहित चार गुणा करके मुआवजा की राशि सरकार दे ।
धरना में आए एक्सप्रेसवे प्रभावित किसान राज कुमार सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया कि सरकार जमीनों की खरीद बिक्री करते समय निबंधन कानून का हवाला देकर गांव तथा रोड से दो सौ मीटर की दूरी में आने वाली भूमी , चौहद्दी में पिण्ड रास्ता छउर लगने वाली भूमि या छह डिसमल से कम रकबा वाली भूमि को आवासीय भूमि मानकर हमसे चार गुणा अधिक कर वसूलती है तब भूमि अधिग्रहण में निबंधन कानून के मानक में आए आवासीय भूमि का मुआवजा भीठ धनहर प्रकृति बनाकर क्यों दे रही है ? यह सरकार द्वारा किया जा रहा सरासर अन्याय है ।
अम्बा से देव तक हुए सड़क चौड़ीकरण से प्रभावित किसानों ने भी इस धरना में हिस्सा लिया । ढोंगरा गांव से आए प्रभावित किसान संतन सिंह नें बताया कि हमारी जमीनें जिला प्रशासन के द्वारा प्रलोभन देकर पहले ही ले ली गई और सड़क का निर्माण भी हो गया जबकि अभी भी अधिकांश किसानों को मुआवजे का नोटिस नहीं दिया गया है । जिला प्रशासन के द्वारा ऊंचा ऊंचा सब्जबाग दिखाकर जमीन ले लिया गया पर अब जो कुछ किसानों को नोटिस दिया गया है उसके मुताबिक हमारी जमीनों का भाव ब्याज सहित चार गुणा करके मात्र पैंतालीस हज़ार रुपये डिसमिल दिया जा रहा है । संतन ने सवाल पूछते हुए बताया कि आज पूरे भारत में कहीं भी सड़क के किनारे पैंतालीस हज़ार रुपये डिसमिल जमीन नहीं है , इस स्थिति में सरकार को हमारी जमीनों के मुआवजा को लेकर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है ।
सन्तन सिंह ने अंचल कार्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए यह भी बताया कि मुआवजा लेने के लिए किसान जब एलपीसी बनवा रहे हैं तब हल्का कर्मचारी अपने दलालों के माध्यम से दस प्रतिशत राशि की मांग कर रहे हैं ।
सोनबरसा गांव के सेवानिवृत्त सैनिक किसान नरेंद्र राय ने अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार पर धरने में जमकर सवाल उठाया । नरेंद्र राय ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि यहां बिना मोटा रिश्वत दिए हुए किसान का कोई काम नहीं होता है । लगभग सभी हल्का कर्मचारियों नें स्थानीय दलाल रखा हुआ है जो किसानों से जायज काम के लिए किसानों से अवैध उगाही कर रहे हैं । जमाबंदी पंजी को सरकारी कर्मचारियों ने फाड़ दिया पर उसका दंड भोलेभाले किसानों को दिया जा रहा है ।
श्री राय ने कहा कि कभी लालू के जंगल राज में भी ऐसी स्थिति नहीं थी जो आज है । लालू ने बिहार को जंगल राज बनाया था तो नीतीश कुमार ने अफसरशाही बढ़ाकर बिहार को पिंजड़ा राज बना दिया जिसमें अधिकारी रिंग मास्टर बन गए और जनता पिंजड़ा में बंद कैदी । अगर ऐसी ही स्थिति रही तो हम किसान मजदूर मिलकर इस सरकार को उखाड़ फेंकेंगे !
धरना में आए कई किसानों नें अंचल कार्यालय में रिश्वतखोरी और काम ना होने के सवालों को जोरदार तरीके से उठाया तथा यही रवैया रहा तो बड़ा आंदोलन कर सरकार को उखाड़ फेंकने का चेतावनी दिया ।
किसानों की मुख्य मांगें –
१. भारतमाला परियोजना में भूमि अधिग्रहण में मुआवजा की राशि कमिश्नर द्वारा तय किए गए राशि दर अनुरूप सभी किसानों को दिया जाए ।
२. निबंधन कानून के दायरे में आने वाले आवासीय और व्यवसायिक प्रकृति के भूमि का मुआवजा आवासीय और ब्यावसायिक के दर से दिया जाय ।
३. अम्बा से देव रोड में हुए भूमि अधिग्रहण का मुआवजा आवासीय और ब्यावसायिक के दर से दिया जाय ।
४. परिमार्जन प्लस में किसानों के साथ आ रही समस्यावों को जल्द से जल्द निष्पादित किया जाय तथा एलपीसी निर्माण में रिश्वतखोरी बंद किया जाय ।
५. परिमार्जन प्लस,एलपीसी बनने,खाता खेसरा सुधारने में हो रहे भारी रिश्वतखोरी पर तुरंत लगाम लगाया जाय ।
६. हल्का कर्मचारियों द्वारा स्थानीय दलाल रखकर किसानों से किए जा रहे अवैध वसूली पर तत्काल लगाम लगाया जाय ।
७. किसानों ने रजिस्टर टू नहीं फाड़ा फिर जमाबंदी कायम करने के नाम पर वर्षों बरस उसे अंचल तक दौड़ाकर दंडित क्यों किया जा रहा है ? इस समस्या का जल्द समाधान किया जाय ।
८. गैरमजरुआ मालिक तथा बकाश्त मालिक भूमि का रैयतीकरण जल्द से जल्द किया जाय ।
९. भारतमाला परियोजना के तहत हो रहे निर्माण में बिना मुआवजा दिए बलपूर्वक जमीनों पर काम लगाना बंद किया जाए । इस धरने में जयराम सिंह, कृष्णानंद पांडे, विनय सिंह, बिजेंद्र मेहता, विक्की सिंह, बीरेंद्र पांडे, शंकर पांडे, गया पांडे, बलराम सिंह, महिला किसान सुधा सुमन सहित हजारों महिला पुरुष किसान उपस्थित थे ।