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आज भी माँझी जाति साँपों को पकड़कर, खेल दिखाकर जीवकोपार्जन में लगा है

केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात समाचार सेवा


सरकार अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने एवं कुछ नामचीन एवं तथाकथीत राजनेता माँझी जाति की कल्याण एवं उत्थान की बात कर सिर्फ अपना एवं अपनें परिवार वालों की उत्थान में लगे हैं । लेकिन धरातल पर आज भी माँझी जाति मुलभूत सुविधाओं से बंचित है। साँपों को पकड़कर उसका करतब

साँपों का करतब दिखाता संतोष माँझी ।

दिखा कर जीवकोपार्जन हेतु विवश है। औरंगाबाद जिले के करहारा निवासी संतोष मांझी(2 5 ) पिता भुलेठन माँझी ने बताया कि सांपों को पकड़ना एवं करतब दिखाकर जीवन यापन करना हमारा पुश्तैनी घंधा है।अभी 1 5 दिनों से खिरियावाँ पंचायत के जोगड़ी गाँव के बगीचे में तंबु लगाकर डेरा जमाये हुए हैं। संतोष माँझी नें आगे बताया कि सरकारी सुविधा के नाम पर शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन, आबास कुछ नहीं मिल पाता है। अभी भी हमारा पुश्तैनी मकान करहारा में मिट्टी एवं खपडेल तथा फुस का ही है। हमारे बच्चे भी स्कुल नहीं जाकर माता -पिता के साथ कृषि कार्य में मजदुरी करते हैं। सरकार हमारा बोट तो ले लेती है लेकिन सुविधायें नदारद है।