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बाबा गणिनाथ महाराज का पूजन महोत्सव अनुष्ठान धूमधाम से हुआ संपन्न

मदनपुर ( औरंगाबाद ) खबर सुप्रभात समाचार सेवा

अखिल भारतीय मध्यदेशीय हलवाई वैश्य सभा ,मदनपुर के द्वारा आयोजित महात्मा गणिनाथ गोविंद जी महाराज का पूजनोत्सव मदनपुर खेल परिसर में धूमधाम से संपन्न हुआ।आचार्य ज्ञानदत्त पांडे ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा गणिनाथ का शास्त्रीय विधि से पूजन संपन्न कराया!

आध्यात्मिक अनुष्ठान के इस मांगलिक बेला में वैश्य सभा द्वारा सनातन धर्म सभा का विराट आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन सनातन परंपरा के अनुसार दीप प्रज्वलित करके किया गया. आयोजन में उपस्थित मुख्य अतिथि समाजसेवी प्रमोद कुमार सिंह सहित समाज के विविध आयाम के महानुभावों , वैश्य समाज के प्रांतीय ,जिला तथा प्रखंड के दायित्वधारियों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित करने के साथ-साथ बाबा गणिनाथ जी महाराज को पुष्पांजलि अर्पित किया । मुख्य अतिथि प्रमोद कुमार सिंह सहित मंचासीन सम्मानित अतिथियों को मंच की ओर से माला तथा अंग वस्त्र प्रदान करके स्वागत किया गया।

पारस गुप्ता जी के अध्यक्षीय भाषण से शास्त्रोंक्त विधान से सभा प्रारंभ की गई।

मौके पर उपस्थित विशिष्ट अतिथि विश्व हिंदू परिषद् के आजीवन हितचिंतक तथा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच भारत के राष्ट्रीय सलाहकार समिति सदस्य जितेंद्र सिंह परमार ने अपने संबोधन में बाबा गणिनाथ महाराज के सांगोपांग जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनके आध्यात्मिक अभ्युदय पर ऐतिहासिक तथा तात्विक आख्यान प्रस्तुत किया। इन्होंने कहा कि बाबा गणिनाथ जी महाराज हिंदू संस्कृति में देवतुल्य नित्य वंदनीय है। इनका प्राकट्य बिहार के वैशाली जिले की पुण्य धरा पर हुआ। इन्हे देवाधिदेव महादेव शिवांश के रूप में अवतरित माना जाता है। बाबा ने बचपन से ही आध्यात्मिक साधना के तपोबल से चमत्कार दिखाना शुरू कर दिया था । भूतभावन गणों के अधिपति देव शिव जी का अंशावतार होने के कारण ही ये गणिनाथ के नाम से सुनामधन्य विख्यात हुए। विक्रम संवत 1024 में उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय में आयोजित वैदिक ज्ञान समागम में भाग लिया जहां योग और तप के बल पर इन्होंने नव निधि और अष्ट सिद्धियां प्राप्त की । इनका इनका विवाह चंदेल वंश के परम प्रतापी क्षत्रीय कुलाधिपति राजा धंग की पुत्री राजकुमारी क्षेमा”खेमा” से हुआ था। श्री सिंह ने चंदेल वंश के परम प्रतापी राजा के वंशानुगत परंपरा के ऐतिहासिक तथ्यों पर भी विस्तृत प्रकाश डालते हुए कहा की राजा धंग अपने पराक्रम से महाराजाधिराज की उपाधि धारण किया था। इनकी उपाधियों का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए इन्होंने कहा कि इन्हें महाराजाधिराज, महोबा नरेश, माहिष्मती नरेश ,श्री कालिंजर अधिपति के नाम से भी विभूषित किया गया था‌। इन्हें चंदेल वंश का आठवां शासक माना जाता है। इन्हें वास्तविक स्वाधीनता का जन्मदाता भी कहा जाता है। ईसवी सन् 950 से लेकर 1002 तक के बीच में लगभग 52 वर्षों तक शासन किया। चंदेलों का शासन काल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है । इसी परम प्रतापी चंदेल वंश की कन्या जो समस्त आदिशक्ति के ऊर्जा से अनु प्रणित देवी क्षेमा से गणिनाथ महाराज जी का विवाह संस्कार संपन्न हुआ था। महाराज के तीन पुत्र और दो पुत्रियां थी ।पुत्रों के नाम कर्मराय,श्रीधर और गोविंद, पुत्री का नाम सोनावती और शीलवती था । महाराज ने कठोर तपोबल की साधना से अभीष्ट को सिद्ध करने वाली सिद्धियां प्राप्त कर ली थी । विक्रम संवत 1060 में बाबा गणिनाथ एक महान राजा बन गए के । इन्होंने ने अपने पूर्वज राजाओं द्वारा जीते गए सभी राज्यों को एकीकृत किया ताकि उनमें सुशासन और व्यवस्था स्थापित की जा सके। प्रेम स्नेह और करुणा के साथ उन्होंने सभी राज्यों को एक राज्य में एकीकृत कर दिया । यवनों के शासन से समाज को मुक्त करने के लिए उन्होंने एक सेना बनाई जिसका नेतृत्व उनके पुत्रों ने किया । भीष्ण युद्ध में यमन की सेना पराजित हुई। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी की शक्ति के तेजपुंज से अनुप्राणित माता क्षेमा उपाख्य खेमा और बाबा गणिनाथ जी महाराज ने एक साथ हाजीपुर के पलवइया में समाधि ली थी ।आज यह स्थान दिव्य शक्तियां से युक्त दैवीय शक्ति धाम के रूप में विख्यात है। श्री सिंह ने बाबा गणिनाथ के देवांश के तात्विक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईश्वर की प्रेरणा से अभीष्ट को सिद्ध करने के लिए धरा धाम पर अवतारी विभूतियां किसी जाति या समाज विशेष की नहीं होती । बल्कि राष्ट्र धर्म की स्थापना के लिए बारंबार धरती पर अवतरित होती रहती है। इसी अवतार कि श्रृंखला में बाबा गणिनाथ महाराज जी भी समस्त भूमंडल में देव तुल्य पूजनीय और वंदनीय है। श्री सिंह ने वैश्य समाज की आध्यात्मिक ऊर्जा को सनातन का एक प्रबल संबल मानते हुए कहा कि जिस प्रकार से बाबा गणिनाथ महाराज ने यमन के शासनकाल को धूल धूसरित करके सनातन का धर्म ध्वज फहराया था ।ठीक उसी प्रकार वैश्य समाज के सनातनी पहरेदारों को वर्तमान में भारत भूमि पर राष्ट्रद्रोही, सनातन द्रोही समूह को पराजिता करके भारत भारती को विश्व के मानचित्र पर सर्वेश्वरी के रूप में स्थापित करना होगा , वैश्य समाज के लिए यह युग पुकार है । मुख्य अतिथि प्रमोद सिंह ने बाबा गणिनाथ को भगवान का अवतार बताते हुए इन्हें महान संत तथा समाज सुधारक बताया। इन्होंने कहा कि बाबा गणिनाथ समाज में समरस भाव का निर्माण करते हुए उच्च स्तरीय सुशासन की व्यवस्था दिया था। यह सुशासन वसुधैव कुटुंबकम का जीवंत चित्रण था। सभा में सलैया पैक्स अध्यक्ष रिशु कुमार जी, पूर्व मुखिया सुरेंद्र प्रसाद, संजय शर्मा,संतोष कुमार गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता ,रामस्वरूप साहू, चंद्रमा साहू, बजरंगी साव ,टिंकू गुप्ता, रोशन कुमार गुप्ता ,श्याम सुंदर प्रसाद गुप्ता, रविरंजन गुप्ता, शैलेंद्र प्रसाद गुप्ता, चंदन कुमार गुप्ता, महेश साहू ,विनय गुप्ता, दिलीप गुप्ता के अलाव वैश्य समाज के अनेक गणमान्य सहित अनेक सामाजिक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता सहित विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष गोपाल सिंह एवं अभिमन्यु सिंह उपस्थित थे। वैश्य सभा के प्रखंड सचिव दिलीप कुमार गुप्ता के कुशल प्रबंधन कौशल से सुसज्जितमंच आयोजन का सफल संचालन वैश्य समाज के अधिकारी रंजन गुप्ता ने किया।