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दिल्ली के मुख्यमंत्री का सिंहासन

सुनील कुमार सिंह, उप संपादक खबर सुप्रभात समाचार सेवा

यह सिंहासन रेखा गुप्ता के भाग्यांक में आकर कैसे स्थापित हो गया ? जबकि भारतीय जनता पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता भी इस सिंहासन के दावेदार थे! इसके बावजूद अचानक समयचक्र के गर्भ से रेखा गुप्ता का नाम कैसे निकला? यह चौंकाने वाला यक्ष प्रश्न उभर कर सामने आया है। कुछ अपने को वरिष्ठ मानने वाले नेतृत्वकर्ता भी इस

सुनील कुमार सिंह, उप संपादक

निर्णय से हताश और विचलित होकर भारतीय जनता पार्टी पर जातीय समीकरण का ठप्पा लगा रहे हैं। गलियारे में चर्चाएं आम है– “एक बनिया का मुख्यमंत्री बनने के पीछे भारतीय जनता पार्टी का बनिया नेतृत्व का हाथ और साथ है” जबकि यह आधार मिथ्या और तथ्यहीन है। मुख्यमंत्री का चयन के लिए सिर्फ जातीय समीकरण को आधार बना कर आरोप– प्रत्यारोप लगाने वाले महानुभावों से प्रार्थना है कि तथ्यों की गंभीरता को सोचे समझे बिना कुछ भी बोल जाना ,कुछ भी कहा जाना, अनियंत्रित मानस की स्थिति में अमर्यादित कटाक्ष पूर्ण भाषा का प्रयोग करना– यह संगठन के समर्पित कार्यकर्ता का गुणधर्म कदापि नहीं हो सकता है। शंका और संशय के वातावरण से अपने आप को निकालने के लिए बीते समय में मातृ संगठन “संघ” से जो कुछ संकेत और संदेश मिल रहे हैं इसका सूक्ष्मता पूर्वक अध्ययन और मनन करना पड़ेगा! विवेकानंद के नूतन भारत का सपना साकार करने के लिए संघ का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष चिंतन जो सामने आ रहा है, उससे स्पष्ट हो गया है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के सिंहासन तक पहुंचने के लिए कार्यकर्ता का मन मानस संघ संस्कार और चिंतन से अनुप्राणित होना आवश्यक है। डॉ मोहन यादव , विष्णुदेव साय सहित अन्य संघ अनुप्राणित कार्यकर्ता का मुख्यमंत्री के सिंहासन पर राजतिलक होना– यह संकेत है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के आसान तक पहुंचने के लिए संघ पृष्ठभूमि की अर्हता अत्यंत आवश्यक है।
ताकि भारत भारती के मस्तक पर रोड़ी कुमकुम का श्रृंगार –प्रकाश से राष्ट्र आलोकित होता रहे । तथा संघ– प्राण वायु ही इस संकल्प घोष को भी पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा – तेरा वैभव अमर रहे मां।
हम दिन , चार रहे न रहे ।।इसलिए मेरा भी व्यक्ति मानना है कि संघ विचारधारा से पूर्णत: अनुप्राणित कार्यकर्ता का ही इस गरिमामय सिंहासन पर राज तिलक करना चाहिए। काल,संदर्भ,स्थिति– परिस्थिति, वातावरण तथा वायुमंडल के प्रदूषण से निश्चित रूप से कुछ स्वयंसेवक प्रभावित है।
किंतु जीवन को तपस्या बना देने वाले स्वयंसेवक की कालजई श्रृंखला को ध्यान में रखकर निर्णय देना ही उचित होता है! अन्यथा व्यक्ति विशेष के आचरण से समूह के आचरण का निर्धारण –यह सर्वथा अनुचित है। इस संघ प्राणवायु की श्रृंखला में एक नाम बहन रेखा गुप्ता का भी आता है। इसी प्राण वायु की ऊर्जा ने भारतभारती की सेविका रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री के सिंहासन पर राजतिलक का मार्ग प्रशस्त कर दिया और
यह भी अचानक अनायास या समीकरण मात्र के आधार पर नहीं हुआ बल्कि इनकी पृष्ठभूमि को भी निष्पक्ष भाव से समझाना पड़ेगा– आखिर कौन हैं रेखा गुप्ता? – BJP MLA Rekha Gupta विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग सीट से भाजपा की उम्मीदवार रेखा गुप्ता की जीत ने उन्हें मुख्यमंत्री पद पर आरूढ़ कर दिया। इनकी राजनीतिक यात्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से प्रारंभ हुई। दिल्ली विश्वविद्यालय की सचिव रह चुकी हैं.इसके अलावा इनका आत्मीय लगाव शहरी और ग्रामीण दोनों ही समाजों से रहा है। इनका परिवार जुलाना (हरियाणा) में व्यापार करता है, जबकि इनकी शैक्षणिक और राजनीतिक दक्षता दिल्ली में हुई। इनके पिताजी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में सेवाकर्मी थे और इसी कारण उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था. उनके दादा मनीराम जिंदल गांव में रहते थे, और परिवार ने व्यापार से जुड़ी कई पारंपरिक जिम्मेदारिया का निर्वहन किया हैं. रेखा गुप्ता जी का जुडाव शहर से लेकर गांव तक सदैव बना रहा है। शहर और ग्रामीण परिवेश के वायुमंडल को समझने में यह पूर्ण दक्ष हो गई। संभवतः संघ का गुण धर्म भी इसी मान्यता को प्रकट करता है। संघ जीवन प्रवाह की अविरल धारा ने इन्हें मुख्यमंत्री के आसन पर अंततः विराजमान कर दिया।