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औरंगाबाद जिले के तथाकथित लाल गलियारे में अफीम के खेती, फर्जी मुकदमों का बाढ़, आपराधिक घटनाएं हुआ बेलगाम, सरकारी योजनाओं में मची है लूट और मनमानी, जांच कर्ता हो रहे मालो माल,आखिर जिम्मेवार कौन ?


औरंगाबाद ख़बर सुप्रभात समाचार सेवा


जिले के दक्षिणी इलाके खासकर ढीबरा व मदनपुर थाना क्षेत्र के जंगल एवं पहाड़ तटीय इलाकों में अफ़ीम के खेती फल फूल रहा है। अफ़ीम के खेती जिन इलाकों में हो रहा है उन इलाकों में अर्धसैनिक बलों का कई कैम्प स्थापित है तथा कुछ ही दुरी पर पुलिस थाना भी स्थापित है। लेकिन खबर

यह नहीं है कि अफ़ीम के खेती को पुलिस ने विनष्ट कर दिया है बल्कि ख़बर यह है कि आखिर अफ़ीम के खेती के लिए आखिर जिम्मेवार कौन है ? पुलिस द्वारा अफ़ीम के खेती को विनष्ट तो किया जाता है लेकिन संवाद लिखे जाने तक इस धंधे में संलिप्त कितने लोगों को पुलिस अभी तक गिरफ्तार कर सकी है इसकी अधिकारीक जानकारी नहीं है खबर यह भी है? लाल गलियारे से कभी चर्चित यह इलाका एक समय नक्सलियों का सुरक्षित पनाहगार होता था। आए दिन नक्सलियों के बंदुकें गरज़ते थे। नक्सलियों का जन अदालत लगता था और फ़रमान जारी होता था। नक्सली यहां समानान्तर सरकार चलाते थे। लेकिन सरकार के निर्देश पर नक्सलियों को अर्धसैनिक बलों तथा जिला पुलिस बल अभियान चलाकर नक्सलियों का बढ़ते क़दम को रोका है तथा आज नक्सलियों का गतिविधियां थम चुकी है। लेकिन आज इस तथाकथित लाल गलियारे में अफीम के खेती धड़ल्ले से हो रहा है इतना ही नहीं यदि गौर किया जाए तो इन क्षेत्रों में आपराधिक घटनाएं भी शर उठाने लगे हैं और कभी हत्या तो कभी गौग रेप की घटनाएं भी प्रकाश में आते रहता है। फर्जी मुकदमों का अम्बार लगा हुआ है। इन इलाकों में बने लींक रोड़ से शाम होते ही शराब कारोबारियों का पौ बारह होता है और शराब का परिवहन होते रहता है। गांव में शोषित पीड़ित और बंचीत लोगों के उत्थान के लिए सरकार जो राशि भेज रही है उसमें लूट मची हुई है और जांच के नाम पर जांचकर्ता भी मालो माल हो रहे हैं तथा दोषियों को अंततः क्लिन चिट मिल रहा है ख़बर यह भी है।आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है इसके लिए सरकार आम बहस कराये और इसके लिए जिम्मेवार लोगों के विरुद्ध कठोर क़दम उठाकर दण्डित करे।