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इस इलाके में पहले चलता था माओवादियों का पाठशाला अब चलता है इंजीनियरिंग कॉलेज

सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा


बिहार में नक्सल आन्दोलन का उदय सर्व प्रथम सहार, संदेश और कासमा के चाल्हो के आंगन से 1970 की दशक में हुई थी। चाल्हो जोन में मास्टर जगदीश, प्रमोद मिश्रा, पंडित सिराज, रामाधार सिंह एवं नथुनी बढ़ई के नेतृत्व में भाकपा माओबाद की पाठशाला खोलकर आसपास के गाँवों में

माओबाद की पढ़ाई शुरू की गयी थी । आज उसी इलाके में नितीस जी के शासन काल में रफीगंज के तत्कालिन विधायक अशोक सिंह की पहल पर सरकारी इंजीनियरींग कॉलेज खोलकर पुरे बिहार के छात्र – छात्रओं को इंजीनियर बनाने का काम हो रहा है। अरथुआ इंजीनियरींग कॉलेज में एक हजार की संख्या में छात्र -छात्राऐं कैंपस के ही छात्रावास में रहकर इंजीनियरींग की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अरथुआ में इंजीनियरींग कॉलेज बन जानें से आस – पास के दर्जनों गाँवों को रोजी -रोजगार के अवशर प्राप्त हुए हैं । दूध, शब्जी, चावल, दाल, गेंहू आदि खाद्य सामग्रियों के साथ – साथ सेवा क्षेत्र ( टेंपु चालक, नाई, धोवी, दर्जी, दुकानदारी, होटल ) में भी रोजगार के नये अवशर खुलने से क्षेत्र की बेरोजगारी में कमी के साथ -साथ आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है। कई तो सफाई, सुरक्षा, किचेन, विनिर्माण कार्य में अपनी सेवायें देकर जीवकोपार्जन में लगे हैं। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि – अरथुआ का इंजीनियरींग कॉलेज लाल गलियारे में एक मिल का पत्थर साबित होता दिख रहा है। यहाँ अब बारूद की गंध नहीं, शिक्षा की खुश्बू फैल रही है। भबन उड़ाने की जगह, अब भवन बनाने की शिक्षा दी जा रही है।