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रात में अब नहीं सुनाई पड़ती है – जाग सो की आवाज़ , पुलिस वाले हो चुके हैं आराम तलबी, पुलिस पेट्रोलिंग के दावा साबित हो रहा हवा- हवाई 

खबर सुप्रभात टीम का खुलासा


जनता सुरक्षित रहे, जनता का माल सुरक्षित रहे – उसके लिए पुलिस व्यवस्था करना राज्य की जिम्मेवारी है। राज्य लोक कल्याणकारी हो, संविधान में इसकी व्यवस्था है। अंग्रेजी हुकुम्मत में जब एक लाल पगड़ी वाला सिपाही, निली पगड़ी वाला चौकिदार तथा लाल टोपी वाला दारोगा जव गाँव में आते थें तो लोगबाग भय सेअपनें घरों के दरवाजे बंद कर लिया करते थें । कारण साफ था – पुलिस ईमानदार हुआ करती थी एवं इंसाफ पसंद होती थी । चौकिदार रात में हर गाँव के गली – मुहल्ले में – जाग सो, जागते रहो की तेज आवाज लगाया करते थें। परिणाम सार्थक था – चोरी -लूट एवं अपराध की बारदातें न के बराबर हुआ करती थी।
लेकिन आजादी के बाद सबकुछ अचानक बदला बदला दिखनें लगा। पुलिस थानें एवं बलों की संख्या में लगातार वृद्धि की गयी । वेतन, सुविधायें में वृद्धि हुई। आधुनिक बाहन एवं हथियार उपलब्ध कराये गये। नतीजा क्या है – सब जानते हैं। अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। चौकिदार से लेकर सिपाही तक, दारोगा से लेकर एस. पी. तक सभी सुविधा भोगी एवं आराम तलवी बन गये हैं। रात्री गस्ती के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है। एक भी पुलिस की गाड़ी रात के अंधेरे में गाँवो – कस्वों में गश्त करती नहीं देखी जाती । कुछ चौकिदारों की ड्यूटी दिन में बैंक की देखरेख करने एवं कुछ चौकिदारों को रात्री में बाजार ड्यूटी के नाम पर सोने की छुट दे दी गयी है। उग्रबाद प्रभावित इलाकों में तो पुलिस रात क्या दिन के उजाले में भी जानें से गुरेज करती है। पेट्रोलिंग के लिए बनाये गये 1 1 2 नम्बर के बाहन सहित पुलिस बल सड़क – हाईवे के किनारे दिन हो या रात, गाड़ी साईड़कर आराम फरमाते देखे जाते हैं। राज्य के सवसे बड़े ओहदे वाले पुलिस कप्तान भले ही व्यान मिडिया के सामने देते रहें कि सारे पुलिस अधिकारी एवं बल रात्री गस्ती करते मिलेंगे । नये पुलिस आई. जी. का यह फरमान हवा हवाई ही बनकर रह गया है। खबर सुप्रभात की टीम मंगलबार की रात्री औरंगा बाद से दाउदनगर रोड़, रफीगंज रोड, पौथु रोड़, देव मोड़ से देव रोड़, मदनपुर रोड़ में भ्रमण कर पुलिस की ड्यूटी का जायजा लिया । एक भी पुलिस बल की गाड़ी तथा किसी भी थाने के अधिकारी कहीं गस्ती करते नहीं मिले। क्या इसे ही बेहतर पुलिसिंग कहा जायेगा। नतीजन पुरे जिले में ” पुलिस के हौसले पस्त है, अपराधी अपनें मंजुवे में मस्त है ” ऐसा कहनें में कोई संकोच नही होगा। जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा में से सरकार टैक्स बसूल कर इन पुलिस अधिकारियों को बेतन, सुविधा एवं बाहन, हथियार उपलब्ध कराती रहे, आई. जी. साहब बेहतर पुलिसिंग का दावा करते रहें, कुछ होने वाला नहीं। परिणाम सवके सामनें है….. जनता खुद बिचार करे ?