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नवादा के प्रभारी मंत्री, जिला पदाधिकारी एवं अपर समाहर्ता को स्मार पत्र सौंपा, रजौली रामायण कालीन ऐतिहासिक सप्त ऋषि पहाङी स्थल को उत्खनन मुक्त व इको टूरिज्म घोषित करने हेतु

डीके अकेला की रिपोर्ट


नवादा सोसाइटी ऑफ एनजीओ अवरनेश एक पंजीकृत स्वैच्छिक संस्थाओं, सामाजिक प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, डाक्टरों, वकीलों, पत्रकारों, समाजसेवियों एवं शिक्षाविदों का सबल सांझा संगठन है। इसमें सैकडों सामाजिक संगठन सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। इस संगठन द्वारा शिक्षा ,बाल श्रम

उन्मूलन, पर्यावरण,नदी , पहाङ का संरक्षण, भ्रष्टाचार के विरुद्ध रैली व प्रदर्शन की कई सफल यात्राएं की जा चुकी है। साथ ही देश की एकता व अखण्डता एवं सर्वधर्म समभाव के लिए विशेष कार्य करने में सफलता हासिल की है।
स्मार पत्र की मुख्य मांगें निम्न है :-
1: रजौली को विशेष पर्यटक क्षेत्र घोषित करने उत्खनन माफिया को रोकने तथा इस ऐतिहासिक क्षेत्र के जल, जंगल और जमीन को बचाने , पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन का है जो मानवाधिकार और नागरिकों की स्वतंत्रता से जुङा है।
इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए हमें नदियों और जंगलों के सुरक्षा के उपायों पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके लिए प्राथमिकता के बतौर नदियों के इर्द-गिर्द भूमि कटाव को रोकने के लिए सकारात्मक सक्रिय कदम उठाने होंगे। भूमि कटाव की गम्भीर समस्या से धनार्जय नदी ज्यादा ग्रसित है। इसी नदी के आसपास सप्त ऋषियों का तपोस्थली सह निवास स्थली के रूप में बेशुमार चर्चित है। आज भी आम लोगों की आस्था दिल की गहराई से जुङा है।
विदित हो कि श्रृंगी ऋषि पर्वत, दुर्वासा ऋषि पर्वत, जुङवा पर्वत, खगपति पर्वत, गौतम पर्वत और लोमस पर्वत में वन विभाग एवं माफिया गठजोङ से हो रहे व्यापक कटाव-छटाव के साथ बङे पैमाने पर वनों की कटाई और उत्खनन ने तो इस संकट और विकराल बना दिया है। इसके बावजूद भी रजौली को इको टूरिज्म घोषित करने से बिहार राज्य को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी। साथ ही साथ इसके आसपास के सघन क्षेत्र प्रसिद्ध जैन तीर्थ पार्श्वनाथ, बौद्ध तीर्थ गया, रजौली अन्तर्गत ककोलत शीतल जल प्रपात, ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर, भगवान महावीर के कर्मस्थली पावापुरी और जन्म स्थली वैशाखी जिला का सघन क्षेत्र है। यह दर्शनीय व बेहद चर्चित धर्मस्थल है। इसका वर्णन रामायण से लेकर कई पौराणिक ग्रंथों में है। अहम् धार्मिक और शैक्षणिक स्थल रजौली को इको टूरिज्म बनाने से इस इलाके में न सिर्फ वृक्षों की कटाई व पहाङ का उत्खनन पर ही लगाम लगेगा बल्कि वनों की वृद्धि के लिए योजनाबद्ध तरीके से इस कार्य में वन में रहने वाले वनवासियों, अन्य सजग नागरिकों और एनजीओ का सहयोग भी लेना होगा जिससे इस बहुमूल्य मुहीम में आम नागरिक, आदिवासी-वनवासी के साथ किसान व मजदूर स्वयंसेवी के बतौर खुद जुङ सके।
2 : बालश्रम मुक्ति के आपके समग्र प्रयासों के कारण नवादा जिले में कुछ हदतक बाल मजदूरी पर अंकुश लगाने में प्राप्त सफलता के मध्येनजर हम इस अभियान को पूरे राज्य में विस्तार करना चाहते हैं ताकि बिहार से बाल मजदूरों की समस्या से निजात मिले। इससे जहां बाल अपराधों की रोकथाम होगी ,वहीं बच्चों का भविष्य उज्जवल और भी बेहतर होगा।
3 : खासकर किसानों के समर्थन मूल्य तीसरा अहम् मुद्दा है। कृषि प्रधान देश के किसानों की जमीनी और व्यवहारिक जटिल समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए उनका नैतिक समर्थन देना हर आज हर किसी का परम कर्तव्य है। सरकार के सहयोग से उन्हें उनकी उपज के वास्तविक मूल्य से भी अधिक मूल्य दिलाने का सार्थक प्रयास करना है। तभी किसान समृद्ध होगा और राष्ट्र भी खुशहाल होगा। जनहित में उपरोक्त तीनों मांगों को अविलंब पुरा के लिए सादर अपील की गई। डॉ प्रेम कुमार-वन,पर्यावरण सह सहकारिता मंत्री सह प्रभारी मंत्री, नवादा,बिहार, जिलाधीश और अपर समाहर्ता, नवादा को सोसाइटी ऑफ एनजीओ अवरनेश, भोपाल के अध्यक्ष महेन्द्र प्रसाद शर्मा और नागरिक अधिकार संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश कुमार अकेला के द्वारा सौंपा गया।