अम्बा ( औरंगाबाद) खबर सुप्रभात समाचार सेवा
सरकार द्वारा चलाए जा रहे राशन योजना (पीडीएफ) में लूट का प्राकाष्ठा पार कर चुके कुटुम्बा प्रखंड में गरीबों को समाजिक न्याय दिलाने का शासन – प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों का सपना को चकनाचूर कर रहे हैं कुटुम्बा के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (एमओ ) महोदय। इतना ही नहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं हैं। सभी को जानकारी है कि प्रखंड क्षेत्र में गरीबों को
मिलने वाले पीडीएफ योजना के तहत राशन के कटौती पीडीएफ दुकानदारों द्वारा किया जाता है। फलस्वरूप 05 के बदले 04 किलो राशन के मुहैया गरीबों को कराया जाता है। जानकारी के बावजूद जनप्रतिनिधियों द्वारा नहीं सदन में आवाज उठाया जा रहा है और नहीं बीडीसी के बैठक में कोई सकारात्मक प्रयास कर पीडीएफ योजना में लूट को नियंत्रित किया जा रहा है। इस संबंध में नाम न छिपने के शर्तों पर कई उपभोक्ताओं ने कहा कि राशन कटौती को लेकर एमओ कुटुम्बा से जब शिकायत किया जाता है तो जांच के नाम पर लीपापोती और दोषियों को बचाने का कार्य किया जाता है। इससे साफ़ जाहिर होता है कि गरीबों के राशन में लूट में एमओ के मिली भगत से ही हो रहा है। जब इस संबंध में एमओ से उनके मोबाइल नम्बर पर संपर्क करने का लगातार ख़बर सुप्रभात प्रतिनिधि द्वारा किया गया लेकिन एक बार भी संपर्क नहीं हो सका। जहां तक जनप्रतिनिधियों का सवाल है तो इस संबंध में समाज सेवियों का दावा है कि गरीबों के राशन लूट का कमिशन जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक पहुंचाया जा रहा है तो फिर सदन और बीडीसी के बैठक में आवाज कैसे उठेगा? समाजसेवियों ने कहा कि यदि लूट का हिस्सेदारी जनप्रतिनिधियों तक नहीं पहुंचेगा तो फिर मुखिया जी के कार ( फोर व्हीलर) कैसे सरपट दौड़ेगा। विधायक जी कहां बंगला में आराम फरमाने वाले गाढ़ी निंद में सो रहे हैं या फिर लूट का हिस्सेदारी वहां तक पहुंच रहा है या फिर वे अनजान हैं यह भी एक गंभीर मामला है। समाजसेवियों से जब पूछा गया कि आखिर नाम छापने से आप मना क्यों कर रहे हैं के जबाब में समाजसेवियों ने कहा कि नाम छापने पर झुठे मुकदमों में एससी-एसटी एक्ट के तहत फंसाया जाता है इस लिए नाम नहीं छापने पर मैं सुरक्षित तो रहेंगे न। हला की इस संबंध में चंदौत निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार अनिल मिश्रा ने पत्र लिखकर जिलाधिकारी व मुख्यमंत्री बिहार सरकार को भी पत्र लिखकर उन्होंने कई सवाल खड़ा किया है। अब देखना है कि यह पत्र कोई रंग लायेगा या फिर गरीबों के लिए सामाजिक न्याय दिवा स्वप्न ही बनकर रह जाएगा।