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30 अक्टुबर आते ही मेरे आंखों के सामनें कोठारी बंधुओं का बलिदान का दृश्य घुमनें लगता है : जितेन्द सिंह

सुनील कुमार सिंह की रिपोर्ट

30 अक्टुबर 1990 का दृश्य मेरे मानस पटल पर अभी भी फिल्मों की तरह घुमने लगता है जव 30 अक्टुबर की तिथि आती है। श्री सिंह नें अश्रुपुरीत नेत्रों से प्रेस प्रतिनिधि को बताया कि राम मंदिर अभियान अपने पुरे चरम पर था। विवादित ढाँचा को हटाने के लिए पुरे भारत से कार सेवकों का हुजुम अयोध्या में जमा हो चुका था। कार सेवक टोलियों में बँटकर कार्य करनें को तैयार थी। उस समय यु.पी. में सपा

की सरकार थी । मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थें। मुस्लिम वोट को अपने पक्ष में करनें के लिए सपा मुखिया कार सेवकों के खुन के प्यासे हो गये थें। उन्होनें अपने पुसिस को कार सेवकों पर गोलियाँ चलानें का आदेश दे दिया था। थोक भाव में कार सेवक पुसिस की गोली से मारे जा रहे थें। पुरा सरयु जी का पानी कारसेवकों की खुन से लाल हो चुकी थी। मेरे साथ कलकत्ता से आये दोनों कोठारी बंधु एक घर में शरण लेकर पुलिस की गोली से बचनें के लिए शरण ले रखी थी। तभी पुलिस वालों की नजर कोठारी बंधुओं पर पड़ गयी। मेरे आँखों के सामनें दोनों भाईयों को घर से जबरन निकालकर पुसिस वाले ले गये एवं कुछ ही दुरी पर खड़ा करके गोली मार कर मौत के घाट उतार दी। यह दृश्य मेरे आंखों के सामनें बराबर ही घुमता रहता है जब 30 अक्टुवर का दिन आता है। मैं उस समय एकल बिहार का बजरंग दल का प्रांत संयोजक हुआ करता था। राम मंदिर आन्दोलन में शहीद हुए हजारों राम भक्तों के प्रति आज पुरा सनातन समाज विनम्र श्रदांजली अर्पित करता है एवं पुरा राष्ट्र इनके प्रति कृतज्ञ है ‘ तभी से 30 अक्टुवर को ‘ हुतात्मा दिवस ‘ के रूप में पुरा विश्व हिन्दू परिवार मनाता है एवं अमर बलिदानी शहीदों को याद कर नमन करता है।