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तकनिकी क्षेत्र में डा० विश्वैशरैया का महान योगदान के लिए नमन

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

आज प्रख्यात इंजीनियर और राजनेता डाo मोक्षागुंडेम विश्वैश्वरैया का जन्म दिवस पूरे देश अभियंता दिवस रुप में मनाया।मानवाधिकार फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉo शारदा शर्मा ने कहा कि भारत के निर्माण के लिए डॉo मोक्षागुंडेम विश्वेश्वरैया महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।जिसके लिए उन्हें

1955 मे देश के सर्योच्य सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। डॉo मोक्षागुंडेम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर 1861 में मैसूर के मुद्देनाहल्ली नामक स्थान पर हुआ था उनके पिता श्री निवास शास्त्री एक वैध थे और माता बेंकाचमका एक गृहणी थी।14 वर्ष की आयु में उनके पिता का मृत्यू हो गया था।गरीबी हालात होने के कारण उच्च शिक्षा के लिए उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने मामा के घर जाकर अपने से छोटे बच्चों को पढ़ा कर बंगलौर के कॉलेज में दाखिला लिया था और 19 वर्ष की आयु में बी ए की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए थे। कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसीपल ने इनके काबिलियत को देख कर पुणा के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला कराया था।और मिलने वाले छात्रवृति के बदौलत पढ़ाई पूरी कर सर्योच्य अंक प्राप्त कर पास किया जिसका परिणाम हुआ कि सन 1883 में मुम्बई के लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हुए। 1909 में अपने गांव मैसूर चीफ़ इंजीनियर बनके आए और 1932 तक रहें इस बीच उन्होंने अनेकों कार्य किया जिसमें मैसूर शहर में कन्नवाडी या कृष्णराज सागर बांध जो कि सबसे बड़ा जलाशय है। सन 1912 में मैसूर के महाराजा ने डॉo मोक्षगुंडेम विश्वैश्वरैय को दीवान (प्रधान मंत्री) बना दिया जिसमे उन्होंने पिछड़ा समाज को शिक्षा और रोजगार के लिए अनेकों कार्य किए तथा निष्पक्ष पत्रकार को बढ़ावा दिया।इसके बाद उन्होंने 1919 में पद से त्यागपत्र दे दिया।पद पर कार्यरत रहते हुए उन्होंने मुख्य रूप से 1913 में मैसूर बैंक का स्थापना किया,1914 में मलनाद सुधार योजना,1916 में इंजीनियरिंग कॉलेज बंगलौर,1918 में मैसूर विश्वविद्यालय और ऊर्जा बनाने के लिए पॉवर स्टेशन।
सन 1920 में पुस्तक लिखा भारत का पूर्ण निर्माण और 1934 में पुस्तक लिखा भारत लिए नियोजित अर्थ व्यवस्था। 92 वर्ष की उम्र में गंगा नदी पर फरक्का बांध इन्हीं के देख रेख में हुआ था। इन्होंने देश के लिए अनेकों निर्माण कार्य करते हुए अन्ततः 102 वर्ष की उम्र में 14 अप्रैल 1962 को शरीर को छोड़ दिया। ऐसे महान आत्मा के जयंती पर कोटि कोटि नमन।