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नवादा में मनरेगा योजना चढ़ा भ्रष्टाचार का भेंट, बर्षात में भी हो रहा कार्य, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को नहीं है अवलोकन के लिए समय

नवादा से डीके अकेला की रिपोर्ट


नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले में कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक एक कहावत प्रचलित है।
मनरेगा में लूट है, लूट सके तो लूट। अंतकाल पछतायेगा, जब नौकरी जायेगी छूट। यही कारण है कि मनरेगा से संबंधित चाहे जितनी खबरें सप्रमाण सोशलमीडिया से लेकर अखबारों तक छप जाय कार्रवाई तो दूर जांच तक का काम लाभ- शुभ के आधार पर घर बैठे हो‌ जाता है।
काग़ज़ पर काम दिखाकर रजौली राशि लूट के मामले में अग्रणी तो है ही इस कड़ी में मेसकौर भी शामिल हो गया है। ऐसा तब से हुआ जबसे रजौली से स्थानांतरित होकर पीआरएस मेसकौर में योगदान दिया।
फिलहाल जिले में बारिश का दौर जारी है। आहर- तालाब- नदी- नाले पानी से लबालब हैं। किसान से लेकर मजदूर कृषि कार्य में व्यस्त हैं, बावजूद बीसिआइत पंचायत के आहर में मनरेगा से कार्य कराया जा रहा है। कुल 48 मजदूरों से कार्य कराया जा रहा है। आश्चर्य तो यह कि इन फर्जी मजदूरों को मजदूरी का भुगतान भी कर दिया गया है।
जी हां! यह हम नहीं मनरेगा का इंटरनेट पर लोड दस्तावेज कह रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को इसे देखने तक का समय नहीं है।
इस प्रकार के असंभव कार्य क़ो संभव करने में पीआरएस रवि रंजन भूमिका निभा रहे हैं जिनके जिम्मे मेसकौर समेत बिसीआयत पंचायत की जिम्मेदारी है।
पूर्व में इन्होंने रजौली की दो पंचायतों अंधरवारी व अमांवा पश्चिम को लूटा और अब मेसकौर में धूम मचा रखा है। बावजूद जांच हो भी पायेगी इसमें संदेह है।