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हेमंत सोरेन को जमानत से मिला देशवासियों को मजबूत संदेश


आलोक कुमार निदेशक सह संपादक, खबर सुप्रभात


मनी लांड्रिंग के आरोप में जनवरी 2024 को प्रवतन निदेशालय (ईडी) द्वारा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफतार कर लिया गया था और पांच महीने बाद आखिरकार रांची उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें 28 जुन 2024को जमानत यह कहते हुए दे दिया कि मनी लांड्रिंग में हेमंत सोरेन को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कोई

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

संलिप्तता नहीं है। रांची उच्च न्यायालय द्वारा यह कहना कि हेमंत सोरेन को मनी लांड्रिंग में संलिप्त होने का कोई अभी तक प्रमाण ईडी द्वारा नहीं उपलब्ध कराया गया है। इससे देश को साफ़ संदेश है कि देश के जांच एजेंसियों पर अब भरोसा करना लोकतंत्र और देश के लिए सही नहीं है। जांच एजेंसियों को केन्द्र में एनडीए सरकार अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही है और एजेंसियां कठपुतली के तरह इस्तेमाल हो रहा है। आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता व राज्य सभा सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलना और सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहना कि अभी तक ईडी द्वारा कोई वैसा साबुत नहीं दिया गया जिससे कि संजय सिंह को अभी और जेल में रखा जा सके। आम आदमी पार्टी के नेता व दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन यहां तक कि दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल के पास से अभी तक एक रुपए बरामद नहीं होना लेकिन ईडी द्वारा गिरफ्तार करने पर जांच एजेंसियों तथा केन्द्र सरकार पर लगाए जा रहे आरोप को भी बल मिलता है। अब सवाल यह है कि भाजपा नेताओं द्वारा अभी भी बकवास करना यह साबित करता है कि भाजपा जांच एजेंसियों का दुरपयोग ही नहीं बल्कि अस्तित्व पर भी ग्रहण लगा चुकी है। सवाल यह उठता है कि जब तक ईडी को कोई ठोस सबूत नहीं था तो फिर एक चुनी हुई मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने के लिए बाध्य करने के लिए जिम्मेवार ईडी के अधिकारियों पर कार्रवाई होना चाहिए या नहीं यह भी तय होना चाहिए। इसके साथ ही वैसे दर्जनों लोगों के विरुद्ध ईडी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में पुछ ताछ कर रही थी और देश के पीएम सहित गृहमंत्री भी उन लोगों पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते नहीं थकते थे लेकिन जब वही तथाकथित भ्रष्टाचारी लोग भाजपा के दामन थाम लिया तो ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का चुप्पी तो साध ही ली भाजपा भी वैसे लोगों को सत्ता में बैठाकर सरप्राइज दे दिया। वर्तमान जांच एजेंसियों और केन्द्र में एनडीए की सरकार आखिर क्या संदेश देना चाहती है। क्या देश में आखिरकार थके हारे लोगों को गृह युद्ध में भेजने और देश को अस्थिरता का माहौल बनाना तो नहीं चाहती है। यह आज एक यक्ष प्रश्न देश के सामने खड़ा हो गया है।