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मुखिया पुत्र और पंचायत समिति सदस्य के पति के चले लात-घंसे, सिरदला प्रखंड परिसर एकाएक भयंकर रणक्षेत्र में तब्दील हो गया

नवादा से डी०के० अकेला का रिपोर्ट



जिले के सिरदला प्रखंड परिसर अचानक उस समय जबर्दस्त रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। पूरे प्रखंड परिसर में भारी कोहराम मच गई। घटना के छिपे रहस्य है कि जब बङगांव पंचायत के मुखिया जयंती देवी के पुत्र मुरारी सिंह और बङगांव पंचायत समिति सदस्य नीलू देवी के मनोज सिंह के साथ किसी खास बात को लेकर कहा-सुनी और तू तू- मैं मैं शुरू हो गई। पल भर में देखते-देखते प्रखंड परिसर रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। जबर्दस्त वहां अफ़रा-तफरी मच गई । दोनों ओर से बेरोकटोक जमकर लात-घूसे चलने लगा। प्रखंड परिसर में मौजूद लोगों और पदाधिकारियों ने पहुंचकर बीच- बचाव कर उक्त मामला पर लगाम लगाया। तब दोनों पक्ष शांत हो गए।
घटना के बारे में प्राप्त जानकारी अनुसार बङगांव पंचायत में संचालित किसी सरकारी योजना ,जो समिति मद से की जा रही थी। दोनों जन प्रतिनिधि इसी बात की जानकारी लेने हेतु प्रखंड मुख्यालय पहुंचे थे। इसी दौरान मनरेगा पंचायत रोजगार सेवक राजेश कुमार को मुखिया पुत्र भद्दी – भद्दी गाली-गलौज करने लगे , जो पंचायत समिति सदस्य के पति मनोज कुमार सिंह को काफी नागवार गुजरी। मनोज कुमार ने मुरारी सिंह समझाते हुए सरकार कर्मी के साथ लहजे में पेश आने की नसीहत दी। इसके बाद मुरारी सिंह पंचायत सेवक को छोङ उल्टे मनोज सिंह से ही उलझ गए और गाली-गलौज की मूसलाधार वर्षा होने लगी। तब समिति के पति और वार-ए -दायत स्थल पर मौजूद अन्य लोगों ने मुखिया पुत्र को समझाने का अथक प्रयास किए तो उल्टे अनथाही व अनचाही हाथ-पांव चलाना शुरू कर दिया। जिसके बाद मानो तो प्रखंड परिसर में भयंकर कोहराम मच गया। इसी दौरान लम्पट मुखिया पुत्र को देखते-देखते जमकर अच्छी तरह पिटाई कर खातिरदारी कर दी गयी। हो -हल्ला सुनकर प्रखंड कर्मी और मौजूद अन्य लोग आये और उक्त मामले को शांत करवाया। इस बाबत प्रखंड के बुद्धिजीवियों में देवेन्द्र यादव ,सुरेश यादव व ब्रह्मदेव यादव ने साफ-साफ कहा कि हिंसा किसी भी सूरत में समस्या का स्थाई समाधान कदापि नहीं है। अगर किसी बात को लेकर आपसी मतभेद है तो आपसी वार्ता के जरिए ही मसले का समाधान संभव है। दरअसल ज़मीनी हकीक़त जो पर्दे के पीछे छिपा हुआ है वो यह कि सरकारी योजना अंतर्गत विकास कार्यक्रम के लिए आये राशि में बंदरबांट व कमीशनखोरी करना प्राथमिकता के बतौर परिलक्षित और प्रमाणित कटु सच है।