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मगही के पुरोधा भरत सिंह के निधन पर साहित्यकारों ने जताया शोक

नवादा से डी०के० अकेला का रिपोर्ट


हिंदी मगही साहित्य के प्रखर व माहिर लेखक, समीक्षक, सम्पादक और मगध विश्वविद्यालय बोधगया के हिंदी स्नातकोत्तर विभाग सेवानिवृत्त प्रोफेसर और मगही विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ भरत सिंह के निधन पर हिसुआ-नवादा के साहित्यकारों में बेहद शोकाकुल का माहौल उत्पन्न हो गया है। उन महान हस्ती को खो देने का काफी दुख जता रहे हैं। यह दुख का अंतहीन,असह्य अतुलनीय सिलसिला है।
हिंदी मगही साहित्यक मंच शब्द साधक के अध्यक्ष दीनबंधु , सचिव उदय भारती ,कोषाध्यक्ष अनिल कुमार, प्रवीण कुमार पंकज, अमरेन्द्र पुष्प, प्रो शिवेंद्र नारायण, प्रो नवल किशोर शर्मा, ओंकार शर्मा कश्यप, युगल किशोर राम, शरीक जानी नादां, दयानन्द चौरसिया समेत हिसुआ क्षेत्र के तमाम साहित्यकारों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। शब्द साधक के अध्यक्ष दीनबंधु ने कहा कि मगही के विकास और उत्थान के लिए जो प्रतिबद्धता के साथ अडिग आजीवन समर्पित रहने वाले तथा अपनी लेखनी और वक्तव्य से मगही की दशा-दिशा देने वाले डॉ भरत सिंह मगही के एक अमिट लौह स्तम्भ थे।
वही नवादा के साहित्यकारों ने मगही पुरोधा के मौत को लेकर नगर स्थित लाईनपार मिर्जापुर में डां ओंकार निराला की अध्यक्षता में एक शोकसभा का आयोजन किया गया।इसमें शामिल प्रमुख साहित्यकारों में अशोक समदर्शी ,शम्भुविश्वकर्मा ,नरेंद्र प्रसाद सिंह, कृष्ण कुमार भट्टा, दिनेश कुमार अकेला,साहेब महाराज, प्रो रतन कुमार मिश्रा, प्रो डॉ रबींद्र कुमार, डॉ धनंजय ,डॉ राकेश सिंह, प्रो सत्येंद्र कुमार समेत दर्जनों लोग थे।
जिले के तमाम साहित्यकारों ने कहा कि आज ऐसा महसूस हो रहा है कि मगही का एक जबर्दस्त लौह खम्भा गिर पङा है। जिले के हिसुआ प्रखंड अन्तर्गत पचाढा गांव निवासी डॉ भरत सिंह हिसुआ टीएस कॉलेज में भी 10 वर्षों तक प्राध्यापक रहे थे। इसके बाद वे मगध विश्वविद्यालय बोधगया के हिंदी स्नातकोत्तर विभाग में प्रोफेसर और मगही विभाग के विभागाध्यक्ष हुए। उत्तरोत्तर अपनी लेखनी, साहित्यकर्म, साहित्यिक यात्रा और वक्तव्य से वे लगातार मगही की दशा -दिशा देने का काम हमेशा करते रहे।साहित्य- कारों की लेखनी और प्रखरता को बेहतर बनाने के लिए उनका सम्बोधन की उत्प्रेरक धारावाहिकता हमेशा बनी रहती थी। साहित्यकारों ने मगही के जाने-माने एक अनमोल रत्न ,बङे हस्ती तथा मगही विकास की गति प्रदान करने वाले पुरोधा व मगही के चमकते सितारा के निधन से मगही साहित्य की अपूरणीय नुकसान होने की बातें सबों ने कही है। बता दें कि सोमवार को दिल का दौरा पङने से उनका आकस्मिक निधन उनके राजापुर बोधगया स्थित आवास पर हो गया था। सभी मगही प्रेमी बेहद मर्माहत और शोकाकुल हैं। जिले के तमाम साहित्यकारों और मगही प्रेमियों ने दो मिनट मौन धारण कर शोक श्रद्धांजली अर्पित की गई। उक्त मौके पर सभी साहित्यकारों और मगही प्रेमियों ने यह संकल्प लिया कि मगही पुरोधा डॉ भरत सिंह के अधूरे सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। इसके लिए चाहे जो भी कुर्बानी देना पङेगा ,हम सब सदैव तत्पर और तैयार रहेंगे।