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अरुंधति व प्रोफेसर शेख शौकत का मुकदमा वापस हो: जनपहल

पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा

जानी-मानी लेखिका और जनसरोकारी बुद्धिजीवी अरूंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर एवं मानवाधिकार समाज कर्मी शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) एवं आईं पी सी की अन्य धाराओं के तहत दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री विनय कुमार सक्सेना के द्वारा मुकदमा दर्ज करने की स्वीकृति संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकारों , कानून और न्यायिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन है। लोकतांत्रिक जन पहल इसकी कठोर निंदा और विरोध करता है और तत्काल मुकदमा वापस लेने की मांग करता है। यह आदेश तथाकथित मुकदमा दर्ज होने के 14 साल बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर ने 14 जून ’24 को दिया है। यह अपने आप में मोदी सरकार के खोट को उजागर करता है। लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी की हार हुई है और अब वे राजग गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। लेकिन इस कार्रवाई से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संदेश दिया है कि वे अपने विरोधियों के खिलाफ फासीवादी दमन जारी रखने वाले हैं और संसद में भाजपा के अल्पमत में होने के बाबजूद वे अपने गठबंधन दलों को नजरंदाज कर सकते हैं। लोकतांत्रिक जन पहल ने इस मामले में विपक्षी दलों की चुप्पी को घातक करार दिया है। ‘ कानून अपना काम करेगा ‘ की आड़ में मोदी को छूट देने का रवैया सही नहीं है। संविधान और लोकतंत्र पर हमले के प्रति विपक्षी दलों के ढुलमुल और सेलेक्टिव रवैए से भी फासीवादी साम्प्रदायिक ताकतों को बल मिला है। उल्लेखनीय है कि 2010 में दिल्ली में कश्मीर की तत्कालीन हिंसक स्थिति को लेकर ‘आजादी द ऑनली वे ‘ कार्यक्रम कमेटी फॉर रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स के द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में उक्त दोनों समाज कर्मियों ने अपनी राय व्यक्त की थी। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने अपनी पहल से कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया था। उल्लेखनीय है कि व्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर कहा है कि केवल विचार रखने के चलते किसी व्यक्ति पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है जब तक कि वह किसी गैरकानूनी गतिविधियों में शारीरिक रूप से संलग्न न हो। लेकिन इस मामले में सुशील पंडित नाम के किसी व्यक्ति के द्वारा उक्त दोनों समाज कर्मियों के खिलाफ अदालत में मुकदमे की अपील की जाती है और धारा 156 (3) के तहत प्राप्त अदालती आदेश के तहत दिल्ली पुलिस के द्वारा आईं पी सी की धारा 153 A, 153B और 505 के तहत इन दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। लेफ्टिनेंट गवर्नर ने अपनी स्वीकृति में कहा है कि उक्त दोनों समाज कर्मियों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने की बात कही है । लोकतांत्रिक जन पहल यूएपीए और एनआईए जैसे तमाम बर्बर कानूनों को को खत्म करने की एक बार फिर पुरजोर मांग करता है। लोकतांत्रिक जन पहल का मानना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे में देश में फासीवादी साम्प्रदायिक ताकतों के खतरों से फिलहाल राहत मिली है लेकिन तमाम सिविल एवं एक्टिविस्ट संगठनों एवं समूहों को लड़ाई जारी रखना होगा। हम तमाम विपक्षी दलों को भी आगाह करना चाहते हैं कि अगर वे मोदी सरकार की दमनात्मक नीतियों का खुलकर विरोध नहीं करते हैं तो फिर से फासीवादी साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ावा मिलेगा।