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जो था सहारा उसी ने किया बेसहारा !

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा


आज बात कर रहा हूं लोकसभा चुनाव में कुटुम्बा विधानसभा की नाराजगी की जिसने गत दिनों हुए आम चुनाव में सांसद सुशील सिंह को बेसहारा कर दिया।
यह बात इसलिये कह रहा हूं कि जिस कुटुम्बा विधानसभा नें पिछले कई चुनावों में सुशील कुमार सिंह को प्रचंड बहुमत देकर संसद भेजता आया उसी नें इस चुनाव में सबसे अधिक धूल चटाया। इस बार भी सांसद सुशील सिंह को भरोसा था कि पिछले कई चुनावों की भांति कुटुम्बा विधानसभा सबसे अधिक वोटों से अपना समर्थन देकर उन्हें संसद भेजेगा पर हुआ इसका उलट जब यहां के लोगों ने सबसे अधिक मतों के अंतर से हराने का काम किया।
आखिर ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब देते हुए स्थानीय चिरैयाँटांड़ गांव निवासी राज कुमार सिंह ने बताया कि भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी से कोलकाता एक एक्सप्रेसवे सड़क बन रही है जो औरंगाबाद जिले से होकर गुजर रही है। इस सड़क से औरंगाबाद लोकसभा का कुटुम्बा विधानसभा सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है जहां के लगभग चालीस गांव और टोले प्रभावित हो रहे हैं। समस्या यह है कि इस सड़क निर्माण में किसानों का जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है पर बाजार भाव के अनुकूल उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा रहा है जिसे लेकर किसान खासे चिंतित और सरकार से नाराज हैं। प्रभावित किसान पिछले एक वर्ष से मुआवजा को लेकर कई बार ब्लॉक से लेकर जिला तक धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। किसानों को भरोसा था कि इस विषम परिस्थिति में सांसद हमारा साथ देंगे पर सांसद किसी भी प्रकार के सहयोग देने से मुकर गए। क्षेत्र के प्रभावित किसान के बार सांसद से मिलने गए और लिखित आवेदन देकर मांग किया कि आप हमारे मुद्दे को संसद के पटल पर रखें लेकिन समय और मौका मिलने के बावजूद भी सांसद महोदय ने किसानों की बातों को दरकिनार कर दिया। किसान कहते रह गए कि हमारे जमीनों का अधिग्रहण जब 2023 में हो रहा है तब हमारे जमीनों का कीमत आठ साल पुराने भाव से क्यों लगाया जा रहा है पर सांसद महोदय लापरवाह बने रहे।
इन बातों से प्रभावित किसान खासे नाराज हुए चुनाव में अपने साथ साथ आसपास के वोटों को भी प्रभावित कर दिया।
कुटुम्बा विधानसभा के ही तमसी गांव निवासी विकास सिंह ने बताया कि औरंगाबाद लोकसभा का सबसे बड़ा मुद्दा उत्तर कोयल नहर परियोजना है जो लगभग चालीस वर्षों से अधर में लटका हुआ है। जब जब चुनाव आता है नेता इसपर बड़े बड़े वादे करके चले जाते हैं जबकि काम कभी पूरा नहीं करते। 2019 के चुनाव में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औरंगाबाद और झारखंड के बरवाडीह में आये थे जहां उन्होंने किसानों को एक साल में खेतों तक लाल पानी पहुंचाने का वादा किया था। नरेन्द्र मोदी ने तो बरवाडीह में उक्त नहर के बने कुटकु डैम में फाटक लगाने का शिलान्यास भी किया था पर आजतक नहर के बरवाडीह स्थित कुटकु डैम में फाटक नहीं लग सका । विकास सिंह आगे बताते हैं कि नहर का निर्माण और जल संचय के लिये डैम का निर्माण अस्सी के दसक में ही हो गया था पर डैम में फाटक आजतक नहीं लग सका था जिससे पानी का स्टॉक कभी नहीं हो पाया । यही कारण रहा कि किसानों के खेतों तक आजतक पानी नहीं पहुंच सका। इस लोकसभा का कुटुम्बा विधानसभा सबसे बड़ा पोषक क्षेत्र है। इसके लिये भी यहां के किसान वर्षों से आंदोलन करते आ रहे हैं। चुनाव नजदीक आने पर सांसद सुशील कुमार सिंह नें केंद्र से नहर जीर्णोद्धार का योजना पास करवाकर नहर रिपेयरिंग का काम लगवा दिया और किसानों से कह दिया कि डैम में भी फाटक लगाया जा रहा है अब आपको दोनों फसल में भरपूर पानी मिलेगा पर संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्तावों नें गांव गांव जाकर लोगों को बता दिया कि डैम में फाटक नहीं लग रहा है और ना लगाने की कोई योजना है। किसान समझ गए कि जबतक टंकी नहीं बन जाता नलके में पानी नहीं आ सकता। इस मुद्दे को लेकर पिछले दिनों किसान नेता राकेश टिकैत भी कुटकु डैम का निरीक्षण करने गए थे और देव में प्रभावित किसानों के साथ एक सभा भी की थी। किसान अपने साथ हो रहे छलावा को जानकर सांसद से भड़क गए।
इस बात का खामियाजा भी सांसद को भुगतना पड़ा।
बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाला कुटुम्बा माली पथ जो वर्षों वषों से लाखों लोगों की समस्या बना हुआ था उसपर बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता धनञ्जय तिवारी ने बताया कि सांसद महोदय ने पंद्रह वर्षों में एक रोड भी बनाया तो आधाअधूरा। यह रोड कुटुम्बा से माली तक का है पर इसे कुटुम्बा से दशवतबीघा गांव तक ही बनाकर छोड़ दिया गया। दशवतबीघा से माली तक लगभग तीन किलोमीटर आज भी जर्जर स्थिति में है जिसपर पैदल चलने में भी समस्या है। इस रोड से लाखों लोग प्रभावित थे जो काम ना होने से नाराज हुए और अंतिम खामियाजा सांसद को भुगतना पड़ा।
बसौरा गांव निवासी राजन भारद्वाज ने बताया कि उनके गांव के पास नहर पार करने वाला एक पुलिया तीन साल पहले टूट गया था। लोगों ने इस बात के लिये सांसद महोदय से कई बार गुहार लगाया पर सांसद एक छोटा पुलिया तक नहीं बनवा पाए। इस पुलिया से सरईबार, मंझार, पथरा, मित्रसेनपुर, बसौरा, हेमजा, एरका गांव के लोग काफी प्रभावित थे। पुलिया ना बनने से लोग नाराज हुए और खामियाजा अंत में सांसद को भुगतना पड़ा।
अन्य कारणों की चर्चा करते हुए लोगों ने यह भी बताया कि इन्होंने जो कार्यकर्ता बनाये वो ऐसे कार्यकर्ता थे खुद पंचायत के छोटे चुनाव में हजार से अधिक वोटों से हारे हुए थे। कार्यकर्ता बनाने में बहुसंख्यक राजपूत जाति का उपेक्षा करना भी सांसद को भारी पड़ा।