संपादक मंडल खबर सुप्रभात समाचार सेवा
संयोग या जो कहें, आप दोनों को बधाई कि आप दोनों की पार्टियों ने सरकार बनाने या गिराने की सांसद संख्या हासिल की है। आप दोनों एक बात जरूर ध्यान रखिएगा कि अगर कहीं आप दोनों ने यदि मोदी को अपनी-अपनी पार्टी का समर्थन दे दिया तो साल भर के अंदर यह दिन देखना पड़ेगा, कि जब एक दिन सुबह उठेंगे तो सारे सांसद मय पार्टी के

भाजपा में शामिल हो चुके होंगे और आप दोनों झुनझुना बजाते निपट अकेले खड़े होंगे, शरद पवार और उद्धव ठाकरे यह दर्द झेल चुके हैं, कई वर्ष तक पर्दे के पीछे से बार बार भाजपा की मदद करने वाले नवीन पटनायक आज अपने राज्य से बेदखल हो चुके हैं, न जाने किस अज्ञात दबाव में भाजपा से डरने वाली मायावती जी भारत की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी से शून्य पर पहुँच चुकी है, कभी पंजाब में दबदबा रखने वाले भाजपा के लंबे समय से गठबंधन सहयोगी रहे अकाली आज एक सीट पर सिमट गए हैं, भाजपा की सोहबत में रह कर कभी तमिलनाडु की बहुत बड़ी शक्ति होने वाली जयललिता की पार्टी आज मृतप्राय हो चुकी है, हरियाणा में कुछ साल पहले नई शक्ति के तौर पर उभरी जजपा एक ही बार भाजपा के मोहपाश में फैसी और राजनीतिक रसातल में पहुँच गई, भाजपा के साथ कश्मीर में सरकार चलाने वाली महबूबा मुफ्ती की पार्टी का आज कुछ पता नहीं है, और खुद नीतीश कुमार जी बिहार की सबसे बड़ी शक्ति से घटकर विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर की पार्टी बन गए थे, भाजपा से पुराने रिश्तों के कारण ही चंद्रबाबू नायडू एक जमाने में औध्र प्रदेश के सर्वोच्च नेता से घटते घटते गायब हो गए थे और फिर किस्मत से वापस आए हैं, ममता बनर्जी ने समय रहते भाजपा से अपना संबंध खत्म कर दिया था और वे आज भी शान से बंगाल की मुख्यमंत्री है, और सबसे हैरत अंगेज बेवफ़ाई तो बी जे पी का उसके पितृ संगठन आर एस एस से है। आर एस एस कार्यकर्ता जिन्होंने जीवन लगा कर देश भर में भाजपा को स्थापित किया, सपोर्ट किया एक झटके में भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने कह दिया कि * भाजपा को अब आर एस एस की जरूरत नहीं। वह अपना काम खुद सँभाल सकती है।” !!