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वामपंथी नेता के निधन पर शोक की लहर

डीके अकेला का रिपोर्ट

सीपीएम के नवादा जिले का रजौली प्रखंड व अनुमंडल के अन्तर्गत हलदिया सेक्टर 1 के निवासी वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता का कृष्णा चंदेल के आकस्मिक मौत पर चौतरफा शोक की लहर दावानल का स्वरूप ग्रहण कर लिया है। का कृष्णा चंदेल 1985 में सीपीएम की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण किए

थे। तबसे वे लगातार सीपीएम के साथ आजीवन रहे। वे पार्टी के लिए वफादार सजग एक सिहपासलार के बतौर थे। सीपीएम के पूर्व राज्य सचिव का गणेश शंकर बिद्यार्थी के नेतृत्व में उन्होंने सदस्यता ग्रहण किए थे। पार्टी व उनसे जुङे जन संगठनों को आगे बढाने और जबलन्त बुनियादी जन समस्याओं को स्थाई समाधान को लेकर जन आंदोलनों में काफी बढचढ कर वे हमेशा सक्रिय हिस्सा लेते रहे हैं। का कृष्णा चंदेल के आकस्मिक दुखद असामयिक मौत हो जाने से पार्टी और जन संगठनों को अपूरणीय नुकसान हुआ है। जिसकी भरपाई निकट भविष्य में असंभव है। इस दर्दनाक दुख की अहम घङी में शीघ्र सीपीएम के जिला सचिव डॉ नरेश चन्द्र शर्मा समेत सीपीएम के तमाम कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने गहरा शोक प्रकट कर शोक सिद्धान्जली अर्पित की। सीपीएम से संबंधित जन संगठनों ने भी शोक श्रद्धांजलि अर्पित कर अपनी हमदर्दी को सरेआम दृढ़तापूर्वक खुलेआम किया।
का कृष्णा चंदेल सिर्फ सीपीएम के ही सक्रिय सदस्य नहीं थे ,बल्कि वे फुलवरिया डैम्प विस्थापन समिति के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में चर्चित थे। धारावाहिक द्रुत गति से आन्दोलन को तेज किया, जिसका अवैध श्रेय पार्टी के कुछ धूर्त लोग लेते रहे हैं ,यह एक अलग बात है।
सर्वविदित है कि का कृष्णा चंदेल ओबीसी समाज से जुङे हाशिये पर छुपे एक अनमोल हस्ती थे। जो एक लोकप्रिय जन नेता और जन आंदोलन के नेतृत्व कर्ता के रूप में सुविख्यात थे।सारी जिन्दगी संघर्षरत रहा।
असहनीय दुखद घङी में उनके पार्टी सीपीएम, उनके जन संगठनों और समर्थकों ने गहरी सम्वेदना व्यक्त करते हुए यह संकल्प लिया कि उनके अधूरे काम व सपने को पूरा करने के लिए जो भी कुर्बानी देना पङेगा। हम सब स्वेच्छापूर्वक देने को तैयार हूं।