अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात सामाचार सेवा
भारतमाला परियोजना के तहत निर्माण हो रहे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे में अधिगृहित हो रहे जमीनों को लेकर जिले के किसान काफी हताश और निराश हैं। किसानों का मानना है कि जमीन के बदले मिलने वाला मुआवजा बेहद ही कम है और इसके लिये जिम्मेदार केंद्र और राज्य की दोनों सरकारें हैं।
उचित मुआवजे को लेकर किसान अपनी बात सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं। इसी बाबत किसान संघर्ष

समिति के अध्यक्ष बिरेन्द्र पांडेय कल किसानों के शिष्टमंडल के साथ औरंगाबाद लोकसभा के सांसद सुशील सिंह से मिले और अपनी समस्याओं को लेकर सदन में सवाल उठाने का आग्रह किया। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बिरेन्द्र पांडेय नें बताया कि जिस एमवीआर के हिसाब से हमलोगों को मुआवजा मिलना तय किया जा रहा है उसे पिछले आठ वर्षों से अपडेट ही नहीं किया गया है अर्थात आठ साल पुराने भाव से हमें आज मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें वर्तमान बाजार भाव के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिये जबकि दिया जा रहा एमवीआर के हिसाब से जो बेहद ही कम है। इस एमवीआर का खेल राज्य और केंद्र की दोनों सरकारें मिलकर किसानों के साथ खेल रही हैं जिसमें किसान मारा जा रहा है।
अगले सवाल पर चर्चा करते हुए समिति के अध्यक्ष नें बताया कि अधिग्रहण हो रहे भूमि में पैंतीस प्रतिशत भूमि लगभग आवासीय भूमि है जिसका मुआवजा आवासीय के दर पर मिलना चाहिये लेकिन सरकार किसानों के प्रति बदनीयती दिखाते हुए सभी जमीनों का मुआवजा भीठ धनहर का देना चाह रही है। दिल्ली कटरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का उदाहरण देते हुए अध्यक्ष नें कहा कि जब एक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे में हरियाणा के किसानों को अलग अलग प्रकार के जमीनों के बदले अलग अलग मुआवजा दिया जा सकता है तब बिहार के किसानों के साथ यह भेदभाव क्यों ? उल्लेखनीय है कि दिल्ली कटरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे में हरियाणा के किसानों को राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की एक एकड़ भूमि के बदले एक करोड़ बेरासी लाख चालीस हजार रु मुआवजा दिया गया है जबकि बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की भूमि के बदले लगभग पैंतीस लाख रु प्रति एकड़ दिया जा रहा है। मौके पर उपस्थित किसान संघर्ष समिति के सचिव जगत सिंह नें किसानों पर हो रहे जुल्म को लेकर बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद केंद्र और राज्य की सरकारें मालिक गैरमजरूआ भूमि का मुआवजा किसानों को नहीं देना चाह रही हैं। जगत सिंह नें औरंगाबाद में पूर्व में एनटीपीसी हेतु हुए भूमि अधिग्रहण का हवाला देते हुए इस बात को भी संसद के पटल पर रखने का आग्रह किया कि जब एनटीपीसी में जमीन देने वाले किसानों को अच्छी मुआवजा के साथ आज भी जमीन के हिसाब से प्रतिवर्ष बोनस दिया जा रहा है तब उसी जिले के किसानों को दूसरी जमीन के बदले बोनस क्यों नहीं दिया जा सकता ?
किसानों के शिष्टमंडल नें भूमिहीन हो जा रहे किसानों के लिये पुनर्वास और रोजगार तो विथापित हो रहे दलित परिवारों के लिये भी पुनर्वास रोजगार पर सवाल उठाने के लिये सांसद से आग्रह किया।
किसानों ने शर्त के आधार पर एक यह भी सवाल उठाने का आग्रह सांसद से किया कि यदि भविष्य में कोई सरकार इस सड़क को बेच देती या निजीकरण करती है तब सरकार उन्हें दुबारा से मुआवजा और दो गुणा बोनस दे।
इस मौके पर किसान विकास कुमार सिंह, विनय सिंह मौके पर विजय पांडे, भोला पांडे, राजेश्वर पांडे, प्रेम पांडे, श्रीकांत पांडे, राजेंद्र तिवारी, पंकज तिवारी,बैजनाथ तिवारी उपस्थित थे।