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जन हुंकार मंच ने किया कफन कहानी और प्रेमचंद विषय पर आन लाइन सेमिनार

संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा

जन हुंकार मंच ऑनलाइन मंच के पांचवें कार्यक्रम में ‘ कफन कहानी और प्रेमचंद ‘ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अलखदेव प्रसाद’अचल’ ने की, जबकि कार्यक्रम का संचालन युवा कवि जितेंद्र कुमार चंचल ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ के पाठ से प्रारंभ हुआ ।कहानी का पाठ साहित्यकार व पत्रकार शंभू शरण सत्यार्थी ने किया।


मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ अली इमाम ने कहा प्रेमचंद का जो दृष्टिकोण था। उनकी जो दूर दृष्टि थी। आज जो कुछ अपने को चेतनशील साहित्यकार के रूप में मान रहे हैं, उनकी दृष्टि वहां तक नहीं पहुंच पा रही है ।जिसका कारण है कि प्रेमचंद जैसी हस्ती पर टिप्पणी करने का दुस्साहस कर रहे हैं। यह सब कुछ समझ के अभाव की वजह से हो रहा है। क्योंकि प्रेमचंद ने कफन कहानी में उसी चीज का यथार्थ वर्णन किया है, जो उन्होंने उस समय देखा था।
विशिष्ट वक्ता के रूप में जनवादी लेखक संघ बिहार के संयुक्त सचिव कृष्ण चंद चौधरी कमल ने कहा कि जिस समय प्रेमचंद दलितों की आवाज बनकर उभरे थे, उस समय पिछड़ों या दलितों में कोई ऐसे साहित्यकार नहीं थे, जो समाज की कुरीतियों, अंधविश्वासों और ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर हमला करते। उस समय प्रेमचंद एक अकेला साहित्यकार देखते हैं, जो एक साथ सामंतवाद, पूंजीवाद और पाखंडवाद पर हमला कर रहे थे। विशिष्ट वक्ता के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनवादी लेखक संघ झारखंड के सचिव कुमार सत्येंद्र ने कहा प्रेमचंद एक दूर दृष्टि रखने वाले साहित्यकार थे। जो जीवनपर्यंत बहुसंख्यकों के पक्ष में खड़े रहे थे। वैसे साहित्यकार पर टिप्पणी करने वाले अपनी ही नासमझी का परिचय दे रहे हैं। कफन कहानी में घीसू माधव के मुंह से जिस तरह से सामंतवाद, पाखंडवाद पर खिल्ली उड़ाई गई है, वह जाहिर करता है कि वे लोगों में कितनी चेतना पैदा कर रहे थे। प्रो.अलखदेव प्रसाद’अचल’ने कहा कि कफन कहानी की रचना प्रेमचंद ने उस समय के परिवेश और परिस्थितियों के अनुकूल ही की थी। उसे आज के परिवेश और परिस्थितियों के अनुसार मूल्यांकन नहीं किया जाना चाहिए।
सेमिनार में, बीरेंद्र प्रसाद,डॉ राजेश कुमार विचारक ,अंबुज कुमार, डॉ . सत्यदेव सिंह, समुन्दर सिंह, वीरेंद्र कुमार खत्री ने भी कफ़न कहानी की समीक्षा की। धन्यवाद ज्ञापन का.वीरेंद्र प्रसाद ने किया।

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