डी के अकेला के कलम से
तन-मन-धन जनहित पे न्योछावर करने वाले यार,
साथियों नमन तुम्हें सौ बार।
ये खेल है तेरे अजब निराले, जुल्मों से है तू लड़ने वाले।
तेरी खून से रंगी ये धरती, सबको सुना रही आवाज।।

साथियों नमन ———-
कांटों पे तू है चलने वाले ,
शोषक को तू दलने वाले।
जनहित में तू जान लुटाके दिया अनमोल उपहार ।।
साथियों नमन————-
थर-थर करके लगे कांपने ,
दुश्मन के दिल लगे हांफने।
अब लेकर नया सबेरा सुरज
उगेगा ही अबकी बार ।।
साथियों नमन ———–
प्रस्तुति :- डी के अकेला ,
राष्ट्रीय पार्षद पीयूसीएल ।।