आलोक कुमार, संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को जान से मारने की धमकी मिलने का खबर प्रकाश में आया है। जानकारी के अनुसार आलोक कुमार औरंगाबाद जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री पिछले दिनों ब्यान दिए थे कि स्वर्ण लोग अंग्रेजों के दलाल थे। उनके द्वारा इस तरह का दिए गए ब्यान के प्रतिक्रिया में माना जा रहा है कि उक्त धमकी मंत्री को मोबाइल फोन पर दिया गया तथा जाती सूचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है तथा गालियां भी दी है। मंत्री को धमकी मिलने के बाद उनके परिजनों में गंभीर चिंता होने का जानकारी भी मिल रही है। जाहिर है कि किसी भी लोगों को यदि जान मारने का धमकी मिलेगा तो उनके परिजनों को चिंता होगा ही इसे नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार में जातिगत राजनीति करने का छुट होना चाहिए या फिर जातिगत राजनीति करने वालों चाहे कोई भी हो उनपर अंकुश लगना चाहिए अथवा नहीं यह एक सभ्य और न्याय प्रिय लोगों के बीच यक्ष प्रश्न बना हुआ है। इसके साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि मोबाइल फोन से भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री को धमकी देने वाला अपराधियों को वर्तमान शासन कठोर दण्ड देगा या फिर मामले को रफा दफा कर दिया जाएगा। राज्य के प्रगतिशील तबकों में यह भी

सवाल उठता है कि राहुल संसकृत्यायन , स्वामी शहजानंद सरस्वती, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जैसे लोग क्या अंग्रेजों के दलाल थे या फिर अंग्रेजों के विरुद्ध चल रहे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का एक मजबूत स्तंभ थे।आज दुर्भाग्य है कि राज्य और पुरे देश में जो बुनियादी सवाल आजादी के लम्बे सफ़र में भी बना हुआ है लेकिन इसके लिए किसी को चिंता नहीं है और मूल मुद्दों से भटकाया जा रहा है तथा अपना कुर्शी और सत्ता के लिए आज के युवा वर्गों को भट्ठी में झोंकने का घिनौना राजनीति का खेल खेला जा रहा है।आज कहीं स्वर्ण सेना तो कहीं दलित सेना तो कहीं यदुवंशी सेना कहीं रणबीर सेना का संगठन बनाया जा रहा है। मैं पुछना चाहता हूं कि इन सेनाओं के जगह यदि गरीबों का सेना अमीरों से लडने के लिए बनाया जाए तो क्या गलत होगा?