बेगुसराय , संवाद सूत्र , खबर सुप्रभात
बरौनी रिफाइनरी टाउनशिप के सूरज भवन में रविवार को प्रेमचंद की 142 वीं जयंती पर पुस्तक लोकार्पण चुप है किरणें धूप की ‘ दोहा संग्रह पुस्तक का विमोचन सह समीक्षा किया गया। यह आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा मुंशी यह आयोजन किया गया। टाउनशिप स्थित सूरज भवन में किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ प्रेमचंद्र की तस्वीर पर उपस्थित लोगों ने पुष्पांजलि किया। उद्बोधन , द्वितीय सत्र में प्रगतिशील लेखक संघ की जिला उपाध्यक्ष मुकुल लाल द्वारा रचित ‘ चुप है किरणें धूप की ‘ पुस्तक का विमोचन किया गया l कार्यक्रम का शुभारंभ मिथिला विश्वविद्यालय के हिंदी के शिक्षक डा चंद्रभानु सिंह , प्रगतिशील लेखक संघ के जिला अध्यक्ष सीताराम सिंह प्रभंजन , जनवादी लेखक संघ के भगवान प्रसाद सिन्हा , मुकुल लाल इल्तिजा , सच्चिदानंद पाठक, डा रामरेखा, रामकुमार, सच्चिदानंद पाठक द्वारा संयुक्त रुप से किया गया l इस अवसर पर एलएनएमयू हिंदी विभाग के शिक्षक डॉक्टर चंद्र भानु प्रसाद सिंह ने मुकुल लाल द्वारा लिखित पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की l उन्होंने कहा कि मुकुल लाल ने स्त्री विमर्श का एक नया अध्याय लिखा है l वर्तमान समाज में स्त्रियों का सबसे बड़ा शोषक स्त्री है। इस बात का रेखांकन इस पुस्तक में किया गया है l यह पुस्तक भारत की साझी संस्कृति एवं समन्वय के प्रस्फुटन का प्रतीक है l यह पुस्तक एक साथ समसामयिक यथार्थ एवं मानव जीवन के अन्य पक्षों को भी उद्घाटित करती है l मुकुल लाल अपने उम्र के जिस पराव में हैं, वहां लोगों को अतीत में विचरण की आदत लग जाती है, किंतु यह अभी तक नव पथ के पथिक ही बने हुए हैं। मौके पर कोऑपरेटिव कॉलेज हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ निलेश गौतम ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपने समय की चिंता को शाब्दिक रूप दिया है l उनकी रचना में तत्कालीन सामाजिक कुरीतियां के साथ-साथ प्रेम एवं संघर्ष निरूपित है l मानव जीवन विभिन्न परिस्थितियों में महत्वपूर्ण घटनाओं के जिन पक्षों को स्वीकार करता है एवं जिन पक्षों को नकारता है, उसे उसी रूप में वर्णित करने का कार्य प्रेमचंद ने किया है, इसलिए भविष्य उनका ऋणी है l जी डी कॉलेज हिंदी विभाग के शिक्षक अरमान आनंद ने कहा कि भारत देश समन्वयवादी शक्ति के उत्थान का प्रतीक है। जिस कड़ी में स्वामी विवेकानंद, कबीर ,प्रेमचंद सहित सभी विधा के लोग शामिल है। प्रेमचंद एवं तुलसीदास दोनों जनकवि एवं जन नायक की श्रेणी में है l इनकी पंक्ति स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों एवं समाज सुधार आंदोलन के नेतृत्व कर्ताओं को स्वस्थ समाज निर्माण हेतु अवसर प्रदान करता है l इस अवसर पर जनवादी लेखक डा भगवान प्रसाद सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।परिचर्चा के दौरान समीक्षा डा भगवान प्रसाद सिंह ने कहा कि दोहा मध्यकालीन रूप का काव्य है। लेकिन इसके तत्व में समकालीनता का बिम्ब है । दोहा मूलरूप से तत्कालीन सामाजिक विद्रोह के गर्भ से ही पैदा लिया था। मुकुल लाल जी द्वारा रचित यह दोहा संग्रह भी समकालीन विक्षोभ का एक बिम्ब है। उन्होंने काकी कबीर के दोहे आज भी लोगों के जुबान पर है लंबी कविता अब लोगों को याद नहीं रहता। ऐसे में पत्रकारिता, अंधविश्वास, शिक्षा, रोजगार सहित विभिन्न विषयों पर लिखी गई शुभ है किरणें धूप की दुआ संग्रह लोगों के बीच लोकप्रिय होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीताराम सिंह प्रभंजन के द्वारा किया गया एवं मंच संचालन जिला सचिव ललन लालित्य के द्वारा किया गया।