अम्बुज कुमार , खबर सुप्रभात
औरंगाबाद जिले के जीवन रेखा के रूप में जाने जाने वाली नदी जो शहर के मध्य से गुजरती है अग्नि नदी जो लगभग 45 किलोमीटर दूरी की है और औरंगाबाद जिले में है जिसका उद्गम स्थान है और ओबरा के पास पुनपुन नदी में विलीन हो जाती है आज अतिक्रमण का दंश झेल रही है नदियों के किनारे इसके तटबंध को भरकर मकान और विभिन्न प्रकार के संरचनाएं बनाए जा रहे हैं साथ ही साथ पेड़ पौधों की अवैध कटाई नदी का अस्तित्व समाप्त हो रहा है कई संगठनों ने इस पर सवाल खड़ा किए थे राष्ट्रीय जनता दल ने भी मजबूती से आवाज उठाई थी जिसके परिणाम स्वरूप जिला प्रशासन इसके पूर्व द्वार की बात कर रही है विदित हो कि आद्री नदी देव प्रखंड के दुलारे पंचायत के झरना मौला स्थल से बर्बाद हुई के बूढ़ा बूढ़ी नदी नदी से निकला हुआ है झरना मौला से निकलने वाली नदी को अधूरी नदी क्या जाता है देव प्रखंड में कुछ दूर के बाद कुटुंबा प्रखंड डुमरा डूंगरी कर्मा बसंतपुर पंचायत होते हुए पुणे देव के इसरार और बसडीहा पंचायत के आद्री गांव के पास मिलती है जिसके कारण अधूरी नदी के नाम से जाना जाता है औरंगाबाद नगर परिषद के कई क्षेत्रों से होकर गुजरते हुए ओबरा प्रखंड के कई गांव होते हुए ओबरा के समीप पुनपुन नदी में मिल मिल जाती है अतिक्रमण का शिकार यह नदी अपना अस्तित्व बचाने हेतु कराह रही है शहर के नालियों का गंदा पानी से जल प्रदूषित तो हो ही रहा है अवैध ढंग से पेड़ पौधों की कटाई से भी नदी काफी प्रभावित है नदी के तट पर अवैध रूप से कब्जा कर लो अपना बसेरा बनाए हुए हैं नदी अपने ही दाद एवं छोटे-छोटे पौधे से नाला का रूप ले ली है जिला प्रशासन का सराहनीय कदम है कि किसी भी स्रोत से अजय नदी का पुनरुद्धार हो साथ ही साथ नदी को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए ताकि नदी के किनारे बसी आबादी को जल संकट की समस्या नहीं झेलना पड़े जब नदी में पानी जमा रहेंगे तो निश्चित रूप से औरंगाबाद शहर के साथ नदियों के किनारे बसे तमाम इलाकों में जल स्तर बना रहेगा