आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात
कर्नाटक विधानसभा के आसन्न चुनाव में कांग्रेस पार्टी का आंधी नहीं ब्यार चलने का संकेत मिल रहे हैं। आसन्न विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का कांग्रेस के प्रति सहानुभूति देख कांग्रेस ने जहां आधे से अधिक उम्मीदवारों के घोषणा कर दी है वहीं भाजपा अभी उम्मीदवारों का
घोषणा नहीं कर सकी है। जानकारी के अनुसार भाजपा के आधे से अधिक मंत्री व विधायकों ने हार के भय से चुनाव लडने से मना कर चुके हैं तो कई विधायक व मंत्री अपने ही सरकार के कार्यों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं ऐसे में यदि भाजपा उन्हें पत्ता काटेगा तो वे कांग्रेस में शामिल भी हो सकते हैं। कांग्रेस के द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए हिमाचल प्रदेश के तरह कर्नाटक में भी घोषणाओं का झडी लगा दी है। सबसे ज्यादा युवाओं पर अपना कार्ड खेला है। स्नातक पास युवाओं को रोजगार नहीं मिलने के बाद दो साल तक तीन हजार रुपए तथा डिप्लोमा धारक को पन्द्रह सौ रुपए प्रतिमाह भत्ता देने का एलान कर युवाओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं के घर में मुखिया को दो हजार रुपए प्रति माह भत्ता देने और गृह ज्योति योजना के तहत प्रत्येक घर में प्रती माह दो सौ यूनिट बिजली फ्री देने का एलान अन्न भाग योजना के तहत10किलो चावल देने का एलान कर भाजपा को सकते में डाल दिया है। इसके अलावे कांग्रेस ने इस बार कर्नाटक से आने वाले दलित समुदाय के बड़े चेहरा मलिकार्जुन खरगे को पार्टी का अध्यक्ष बनाकर तथा राहुल गांधी अपने पद यात्रा के दौरान सर्वाधिक समय कर्नाटक में ही बिता कर कांग्रेस ने अपना भावी रणनीति बनाते हुए उत्साहित है। मोदी सरकार ने एक हजार से ज्यादा कांग्रेस नेताओं के घर ईडी और सीबीआई का छापेमारी का मुद्दा उठाकर सहानुभूति बटोरने में लगी हुई है वहीं इस मुद्दे पर भाजपा बैक फुट पर दिख रही है। बता दें कि वर्तमान कर्नाटक विधानसभा में कूल दो सौ चौबीस सीटों मे कांग्रेस के 68 , भाजपा के 104 , जेडीएस के 37विधायक है। वर्ष 2018में कांग्रेस के 80विधायक थे। कर्नाटक विधानसभा का चुनाव 10मई तथा मतगणना 13मई को होने वाला है।