औरंगाबाद (बिहार ) खबर सुप्रभात
बिहार में सुशासन और कानून का राज है , एक टेलीफोनिक सूचना पर सिकायत दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ करने का बात केवल लोक लुभावन घोषणा के अलावे और कुछ भी नहीं साबित हो रहा है।कुटुम्बा में तथा कथित या फिर कहा जाये कि फर्जी महिला चिकित्सक डाक्टर मीणा सोलंकी के भंवर जाल में फंसकर अम्बा थाना के बहादुरपुर निवासी अनिल राम के पत्णी रिंकू कुमारी आज जिवन और मौत से जूझ रही है और कुटुम्बा थाना में 21 अप्रैल को आवेदन देकर तथा कथित महिला चिकित्सक डाक्टर मीणा सोलंकी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करानें के लिए रिंकू तथा उसके परिजनों द्वारा गुहार लगाने के बावजूद जब प्राथमिक थानाध्यक्ष कमलेश राम द्वारा नहीं किया गया तो आज अंततः औरंगाबाद सदर अस्पताल से गया रेफर होने के पूर्व रिंकू ने पुलिस अधीक्षक श्री कांतेश मिश्र से प्राथमिक दर्ज कराने के लिए मिडिया के माध्यम से गुहार लगाने के लिए मजबुर हो गई। उधर रिंकू के पति अनिल राम नें भी कुटुम्बा के थानाध्यक्ष से मोबाइल फोन से बात कर रिंकू द्वारा 21अप्रैल को कुटुम्बा थाना में प्राथमिकी दर्ज करनें का गुहार लगाते सुना गया। रिंकू के ससुर लाल मोहन राम खबर सुप्रभात से बातचीत करते हुए बताये की औरंगाबाद के आइबी के अधिकारियों से भी प्राथमिक दर्ज नहीं करने का सिकायत करते हुए सहयोग का गुहार लगाया हूं।
लाल मोहन राम पुरे मामले का जानकारी देते हुए खबर सुप्रभात को औरंगाबाद सदर अस्पताल के प्रांगण में बताते की नौ अप्रैल को रिंकू कुमारी अपने इलाज के लिए कुटुम्बा रेफरल अस्पताल गरीब थी जहां दलालों के चक्कर में पडकर रिंकू तथा कथित मीणा सोलंकी नामक डाक्टर के नीज घरों में पहूंच गरीब और वहां डीएनए करवाई तब से उसकी हालत नाजुक बनी हुई है तथा जिवन और मौत से जुझ
रही है। उन्होंने आगे बतायी कि जब रिंकू का हालत बिगड़ने लगी तो सबसे पहले उसे रेफरल अस्पताल कुटुम्बा ले जाया गया लेकिन वहां से बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल औरंगाबाद रेफर कर दिया गया। औरंगाबाद सदर अस्पताल से भी आज 23 अप्रैल को बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल कालेज एण्ड होस्पीटल , बोध गया के लिए रेफर कर दिया गया।
लालमोहन राम ने दावा करते हुए कहे की तथा कथित डाक्टर मीना सोलंकी के द्वारा गलत इलाज करने से ही रिंकू का हालत नाजुक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मीणा सोलंकी स्थानीय थाना और रेफरल अस्पताल के चिकित्सकों के संरक्षण में ही अपने नीज अवास कुटुम्बा में अबैध क्लिनिक चलाती है और असुविधा के बीच रोगियों का इलाज कर आर्थिक दोहन करती है तथा रोगियों के जान के साथ खिलवाड़ करती है। उन्होंने आश्चर्य ब्यक्त करते हुए कहे की आखिर थानाध्यक्ष द्वारा अभि तक प्राथमिकी दर्ज न करने का मुख्य वजह का पुलिस अधीक्षक महोदय को उच्चस्तरीय जांचोपरांत कारवाई शुनिश्चत करना चाहिए।