डीके अकेला का रिपोर्ट
नवादा जिले के अंतर्गत हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में ऐतिहासिक चुनाव का रिकाड़तोड़ अनमोल धरोहर का खजाना भरा पड़ा है जो ऐतिहासिक रूप में सर्वविदित है. 1947 में मिली तथाकथित आजादी के बाद प्रथम बिहार विधानसभा के चुनाव में आधी आबादी के सबल, सशक्त व योग्य महिला प्रतिनिधि उम्मीदवार स्व.सत्यभामा देवी ने पहली बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी.उस समय हिसुआ विधानसभा में पूर्ण शांति,सदभाव,अमनचैन का बड़ा अच्छा माहौल था.उसके बाद कालांतर में नवोदित क्रूर सामंती व मनुवादी चरित्र व विधारधारा से पुरे लबरेज,मदहोश व घमंड से लैश स्व.आदित्य सिंह का अपनी दबँगता के बदौलत हिसुआ विधान सभा पर दो दशक से ज्यादा समय तक लाठी व बंदूक के बल पर कब्जा रहा. एकक्षत्र राज भोगते रहे.बेशक इनका तो बहुत ही विकास हुआ, मगर हिसुआ क्षेत्र और जनता का विकास पूर्णरूपेण अवरुद्ध हो गया. आदित्य सिंह दवंगता की सीमा लाँघ कर जघन्य अमानवीयता का घिनौने अनगिनत कुकृत्य को बेहिचक अंजाम दिये हैं. जिससे भलीभांति परिचित सभी लोग हैं,जो सही और काफ़ी मशहूर रहे हैं.जगजाहिर है कि वे आरक्षण यानि मंडल कमीशन के घोर कट्टर विरोधी थे. वे आरक्षण विरोधी आंदोलन के मुख्य नेतृत्व कर्ता-धर्ता में से एक थे.उसी दौरान आरक्षण समर्थकों द्वारा हिसुआ में निकाले गये जुलूस – प्रदर्शन पर दबंग आदित्य सिंह और उनके पालतू लम्पटों ने अंधाधुंध गोली चार्ज कर दिया.इस गोली कांड में तकरीबन आधा दर्जन आरक्षण समर्थकों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया था. इनके काले कारनामें की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है. कितने का जमीन-मकान हड़पने के आरोप के घेरे में हमेशा घिरे रहे थे. प्रत्येक चुनाव में जीत जाने तक वोट बंदूक के बल पर छूटकर लूट रात से लेकर सूर्योदय के पूर्व तक कर लिया करते थे. एक ऐसा भी दौर था जब पुरे क्षेत्र में आदित्य सिंह की तुती बोलती थी. इनके मर्जी के वगैर एक पता तक नहीं हिलता था.पर व्यक्ति नहीं, बल्कि समय बलवान होता है. कटु सच है कि सब दिन होत न एक समाना. एक साधारण परिवार के गैर राजनितिक व्यक्ति अनिल सिंह ने वर्षों से सठियाये मठाधीश आदित्य सिंह को बिलग्नठ चारो खाना चीत कर दिया था,जो सदैव सर्वविदित व यादगार रहेगा.
सत्ता व विपक्ष प्रत्याशी की पृष्ठभूमि-
सत्ता पक्ष के भाजपा के प्रत्याशी भाजपा के पूर्व विधायक सह कर्मठ, दमदार व कदावर नेता अनिल सिंह मुस्तैदी से चुनावी जंगे मैदान में कूद चुके हैं.तूफानी चुनावी दौरा युद्धस्तर पर जारी है इन्हें राजनीति कहीं भी किसी से विरासत में या रहमोंकरम पर नहीं मिली है.अपनी सोच-समझ की बुनियाद पर अपने बलबूते के साथ दमखम के साथ राजनीति में धमाकेदार इंट्री मारी है.तबसे आज तक सक्रिय राजनीति में हैं.कई बार हिसुआ विधान सभा का प्रतिनिधित्व भी किया है. इनका जनाधार मूलतः एनडीए गठबंधन के भाजपा,जदयू, लोजपा (R), हम और रालोसपा के समर्थक तमाम मतदाताओं का एकमुस्त थोक वोट अनिल सिंह के पक्ष में पड़ेगा.अपने स्वजातीय समाज का दो तिहाई वोट बेशक लेने में सक्षम हैं. पिछले लम्बे समय से राजनीति से सघन रूप से जुड़े रहने के कारण समाज में हरेक तबके, जाति,वर्ग व सम्प्रदाय के बीच में कमोवेश,असर, प्रभाव व पकड़ निसंदेह है.इसके अलावे दो अन्य अहम फैक्टर अनिल सिंह के साथ है,जिसमें मुख्य पहला निवर्तमान विधायक नीतू सिंह के पछले किए क्रियाकलाप से विक्षुब्ध व विरोधी लोगों के साथ ही पूर्व जिला पार्षद आभा सिंह,उसकी अपनी ही गोतनी को अनिल सिंह के पक्ष में दृढ़ता से खड़ा हो जाना भी उनकी बढ़ती लोकप्रियता एवं चुनावी बढ़त का यह पुख्ता इजहार व प्रमाण नहीं तो क्या है ? दूसरा सबसे बड़ा फैक्टर तो पूर्व राज्य मंत्री राजबल्लभ प्रसाद हैं. आज भी हिसुआ विधान सभा में 25 से 30% यादव समाज के सजग मतदाता सबल समर्थक व मजबूत लौह पक्षधर राजबल्लभ प्रसाद के हैं.आज अनिल सिंह और राज बल्लभ प्रसाद दोनों एनडीए में हैं. इसीलिए अब राजबल्लभ प्रसाद के समर्थकों का वोट बेहिचक अनिल सिंह की झोली में जाना तयसुदा है, जो जीत का कारण प्रामाणिक सिद्ध होगा. अंधरा पईलक बटेर वाली कहावत ठीक चरितार्थ कर दिया है.
यह सिर्फ सोना में सुहाग ही नहीं, बल्कि अनिल सिंह के लिए अमूल्य वरदान है.हिसुआ विधानसभा में अनवरत बढ़त अभीतक भाजपा प्रत्याशी अनिल सिंह का बना स्पष्ट दिख रहा है, जो जीत की यह एक शुभ संकेत,लक्षण व प्रबल संभावना है.भाजपा प्रत्याशी का हौसला बहुत बुलंद और पक्का इरादा व वादा है.
विपक्ष से कांग्रेस प्रत्याशी निवर्तमान विधायक, एक तेज तरार एवं धाकड़ चर्चित नेत्री नीतू सिंह, पूर्व विधायक व मंत्री बाहुबली आदित्य सिंह की अपनी पतोहू तथा पप्पु सिंह की धर्मपत्नी हैं. नीतू सिंह को राजनीति उपहार के बतौर ससुर से विरासत में मिली है. इनके मूल जनाधार इंडिया गठबंधन है. इनके प्रमुख घटक दल कांग्रेस,राजद,सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई (माले),वीआईपी यादि के जनाआधार और प्रभाव वाले एकमुश्त वोट नीतू सिंह के खाते में जाना तय है.स्वजातीय समाज में करीब 20 से 25%वोट मात्र मिलने की संभावना है. खानदानी राजनीति की उपज के कारण निवर्तमान विधायक नीतू के प्रभाव, पकड़, असर समाज में हर वर्ग,जाति, तबका और संप्रदाय पर कमोवेश निश्चित है. ख़ासकर यादव और मुस्लिम समाज का मास वोट 70 से 80%वोट नीतू सिंह की झोली में आसानी से आना तयसुदा है.
आज तक का चुनावी समीक्षा, आकलन सह मूल्यांकन के अलोक में हिसुआ विधानसभा क्षेत्र में अभी अनिल सिंह और नीतू सिंह के बीच जोरदार कांटे की सीधी टक्कर है. यहाँ का चुनाव तनावपूर्ण रहेगा.यहाँ दोनों प्रत्याशी का मूल लड़ाई और भूख पद,पैसा,प्रतिष्ठा व बर्चस्व के लिए मात्र है. ये राजनीति को निजी स्वार्थ साधने का सीधा साधन समझ बैठे हैं.सत्तापक्ष व विपक्ष के प्रत्याशी के बीच में घमासान चुनावी लाजवाब टक्कर होना तय है. लेकिन वर्तमान परिवेश, परिस्थिति व समय में आज सत्तापक्ष के प्रत्याशी अनिल सिंह का ही पलड़ा ज्यादा भारी है. पर कल क्या होगा यह कौन बताये? क्षण-क्षण परिस्थिति में बदलाव होते रहता है,क्योंकि परिवर्तन प्राकृतिक का अटल व अकाट्य नियम है.
नोट : – 26 अक्टूबर 25 को रजौली विधानसभा क्षेत्र का चुनावी समीक्षा सह मूल्यांकन प्रस्तुत होना निश्चित है. अगर सही व अच्छा लगे तो शेयर जरूर करें।

