पटना से वेद प्रकाश का रिपोर्ट।
महान साहित्यकार, कथा सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की 142 वीं जयंती के मौके पर पटना के मोइनुल हक स्टेडियम के नजदीक स्थित मुंशी प्रेमचंद की मूर्ति के समक्ष प्रेमचंद-शरतचंद्र मेमोरियल कमिटी एवं छात्र संगठन के संयुक्त तत्वावधान में जयंती मनाई गई एवं सभा की गई l
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। कार्यक्रम में शामिल साथियों ने हाथों में मांगों की तख्ती लेकर प्रेमचंद के साहित्य को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करो, जात, पात व मजहबी उन्माद फैलाकर समाज को बांटना बंद करो, 31 जुलाई को प्रेमचंद दिवस घोषित करो, अश्लील सिनेमा, साहित्य क प्रचार प्रसार पर रोक लगाओ आदि जोरदार नारे लगाए।
तत्पश्चात सभा को संबोधित करते हुए प्रेमचंद शरतचंद्र कमिटी की वरिष्ठ सदस्य साधना मिश्रा ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रेमचंद का सपना अधूरा है। प्रेमचंद का सपना था कि गुलाम भारत में जो बेरोजगारी, महंगाई, सांप्रदायिक वातावरण, मजदूरों का शोषण, अत्याचार, जुल्म-अन्याय ,ऊंच-नीच, भेदभाव, कुसंस्कार आदि समस्याएं मौजूद है। जो कि आजादी के बाद खत्म होंगे। पर आज जब समाज में चारों ओर देखते हैं तब पता चलता है की समस्याएं खत्म होना तो दूर की बात उल्टे समाज समस्याओं के दलदल में धंसता जा रहा है। आजादी के बाद एक के बाद एक सरकार आई और गई परंतु समाज की समस्याओं को हल करने के बजाय तमाम सरकारी संपदाओं को कुछ मुट्ठी भर लोगों के हाथों का गिरवी बना दिया। जिससे शोषित पीड़ित आवाम की हालात बद से बदतर हो गया है। आज जरूरत है, प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार व मनीषियों के आदर्शों को जीवन में शामिल करते हुए उन्नत दर्जे के समाज के निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए शपथ लेने का।
सभा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें गीत-संगीत की प्रस्तुति संस्कृतिकर्मी शिमला मौर्या ने किया।
सभा को संबोधित करने वालों में अर्चना अपराजिता, सरोज कुमार सुमन, नताशा शर्मा ,निकोलाई शर्मा, पवन कुमार, आदित्य, राज, विवेक आदि प्रमुख थे।
सभा की अध्यक्षता प्रेमचंद-शरतचंद्र मेमोरियल कमिटी के सदस्य राजकुमार चौधरी ने किया।