औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिले में फर्जी नियोजित शिक्षक बहाली और प्राथमिकी शिक्षा निदेशालय का आदेश को कुडा दान में फेक देने का सनसनीखेज़ मामला प्रकाश में आ रहा है। इतना ही नहीं मामले में औरंगाबाद जिला प्राधिकार ( शिक्षा विभाग ) का मंद गति और वर्षों से सुनवाई के नाम पर पुरे मामले को

अधर में लटका ने का भी जानकारी सूत्रों से प्राप्त हो रहा है जो गंभीर जांच का विषय है।इस संबंध में दिनांक 28/7/205 को जिला शिक्षा पदाधिकारी औरंगाबाद से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। जानकारी के अनुसार दाउदनगर प्रखंड के भिन्न-भिन्न स्कूलों में 22 फर्जी शिक्षकों का नियोजन तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामानुजन सिंह के मिली भगत से किया गया था। मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी औरंगाबाद के संचिका संख्या 8/आ०5 -27/2016 के तहत प्राथमिकी शिक्षा पदाधिकारी को आरोप पत्र दाखिल करते हुए तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रामानुजन सिंह के विरुद्ध दाख़िल किया गया था। जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा दिये गए दिशा-निर्देश को भी अभी तक ठेंगा दिखाकर फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध अभी तक नहीं किसी प्रकार का कारवाई किया गया है और नहीं वेतन भुगतान पर रोक लगा है। फलस्वरूप उन फर्जी शिक्षकों के वेतन मद्द में सरकार को अभी तक करोड़ों रुपए का चुना लगने का अनुमान है और अभी भी चुना लग रहा है। बताते चलें कि इसी तरह कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत भलूवाडी खुर्द प्राथमिक विद्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित शिक्षिका अनिता कुमारी को दो – दो प्रमाण पत्र पर नियोजित करने का भी ग्रामीणों ने जिला शिक्षा पदाधिकारी से लेकर जिलाधिकारी तक ग्रामीणों द्वारा गुहार लगाया गया है। लेकिन अभी तक उक्त अधिकारियों द्वारा कारवाई करने के बदले बचाव कार्य किया जा रहा है।नाम नहीं छापने के शर्तों पर जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में कार्यरत एक कर्मियों को मानें तो वैसे लगभग सभी फर्जी शिक्षकों को संगीन आरोप के बावजूद कार्यक्रम पदाधिकारी ( स्थापना ) द्वारा दक्षता परीक्षा में शामिल करा दिया गया है और जिला शिक्षा पदाधिकारी का भी मिली भगत रहा है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार मामले में O टारलेंश काम कर रहा है या फिर सरकार के ही अधिकारियों द्वारा 0टारलेंश नीति को ठेंगा दिखाया जा रहा है?