9 जुलाई ट्रेड यूनियन अधिकार एक जनराजनीति : इरफान

पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा

मजदूर वर्ग विरोधी #चारलेबरकोड एवं अपने अन्य तमाम जम्हूरी व आईनी हक़हक़ूक़ पर हमले के ख़िलाफ़ 9 जुलाई 2025 की देशव्यापी हड़ताल के साथ यकज़हती, एकजुटता का इज़हार करते हुए शामिल हों . इस हड़ताल को सिर्फ़ अर्थवादी हड़ताल नहीं रहने दें इसे समाज के सबसे जंगजू

हिरावल तबक़े मज़दूर वर्ग के साथ मिलकर सरमायेदारों की अधिकारवादी नव-फ़ासीवादी विशिष्टताओं वाली हुकूमत के दमन के प्रतिरोध का जनराजनीतिक औजार बनावें .इस दिश में #महागठबंधन का बिहार के मतदाताओं पर चुनाव आयोग का संविधानेतर हमले के विरुद्ध हड़ताल के दिन बिहार में चक्का जाम के आह्वान के साथ उतरना स्वागतयोग्य क़दम है .

विश्वट्रेडयुनियनफ़ेडरेशनका_समर्थन

विश्व ट्रेड युनियन कांग्रेस ने दुनिया भर में फैले अपने संबद्ध संगठनों से भारतीय मज़दूर वर्ग 9 जुलाई 2025 के देशव्यापी हड़ताल के साथ एकजुटता का प्रदर्शन का आह्वान करते हुए बयान ज़ारी किया है कि भारत के मज़दूरों की इस वर्गीय लड़ाई को अपना समर्थन दें .
यह जंगजू हड़ताल भारत सरकार के मज़दूर विरोधी इज़ारेदारपरस्त उन नीतियों के प्रतिरोधस्वरूप ज़रूरी हो गया था जिन नीतियों के तहत भारत सरकार मज़दूरों के ऊपर #नयेलेबरकोड थोपने की लगातार कोशिश में है . ये नीतियां ट्रेड युनियन के मूलभूत अधिकारों को ध्वस्त करने के लिए हैं ताकि नौकरी की सुरक्षा -सुनिश्चितता को समाप्त कर पूँजीपतियों के मुनाफ़े के लिए मज़दूरों के शोषण की मिकदार को जबरदस्त रूप से बढ़ाया जा सके . सार्वजनिक उपक्रमों का कारपोरेटीकरण तथा निजीकरण ,
पुराने पेंशन योजना की समाप्ति तथा मज़दूरों के जीवन स्तर एवं कार्यदशा में लगातार हो रही गिरावट , कहने की दरकार नहीं है , भारतीय पूँजीपति वर्ग एवं उसके सयासी नुमाइंदों द्वारा पिछले तीनाधिक दशकों से ज़ारी नव-उदारवादी एजंडे का सीधे नतीज़ा है . ये तमाम नीतियां और उसे लागू करने के हथकंडे और कुछ नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ दसियों करोड़ मज़दूर वर्ग के दशकों के संघर्षों से हासिल अधिकारों, जीवन सम्मान और भविष्य को ख़त्म कर देंगे और उनकी क़ीमत पर बहुराष्ट्रीय निगमों-कंपनियों तथा देश के सरमायेदार इज़ारेदार घरानों के अधिकाधिक मुनाफ़ाखोरी के हितसाधन के रूप में इस्तेमाल होंगे .

मांगें

दुनिया भर के मज़दूर संगठनों ने विश्व ट्रेड युनियन फ़ेडरेशन के बैनर तले इस हड़ताल की वाज़िब #मांगों ,मसलन,
मज़दूर विरोधी #लेबर_कोड को तुरत निरस्त करने, पुराने पेंशन स्कीम तथा गरिमायुक्त सेवांत लाभ को फिर से बहाल करने ,रक्षा क्षेत्र जैसे सामरिक महत्व के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करने , सदियों के जुझारू एवं बलिदानी संघर्षों से हासिल हड़ताल, संगठन एवं सामूहिक सौदेबाज़ी के संविधानप्रदत्त एवं मूलभूत अधिकारों को छीनने की साज़िश बंद करने के समर्थन में एकजुटता की घोषणा की है.

अंतर्राष्ट्रीयवर्गसंघर्षकाहिस्सा

आगे रेखांकित किया गया है कि भारतीय मज़दूरों की यह हड़ताल न केवल एक राष्ट्रीय संघर्ष है
बल्कि मज़दूरों के अधिकारों तथा उचित मांगों पर आये दिन होनेवाले सरमायेदाराना हमलों एवं शोषण के विरुद्ध लगातार ज़ारी विश्वव्यापी वर्गसंघर्ष का भी हिस्सा भी है .भारतीय मज़दूर वर्ग का यह जुझारू संघर्षशील तेवर दुनिया भर में संघर्षरत उन मज़दूरों के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है जो मितव्ययिता एवं निजीकरण की नीतियों तथा शोषण-दमन के बहुराष्ट्रीय निगमों के मुनाफ़ाखोरपरस्त ज़ालिमाना अपराधों के विरुद्ध प्रतिरोध की शक्ति बन खड़े हैं।