जबरन भूमि कब्जा को लेकर किसानों का फूटा गुस्सा , किया अंचलाधिकारी का पुतला दहन

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

भारतमाला परियोजना अंतर्गत निर्माण हो रहे वाराणसी से कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में अन्यायपूर्ण हो रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों में भारी आक्रोश है ।
बीते मंगलवार को नबीनगर अंचलाधिकारी निकहत प्रवीन भारी पुलिसबल और पीएनसी कंपनी के मशीनों के साथ पचमों, परसा, नेरुआ गांव में पहुंच सैकड़ों बीघा जमीन

मशीनों से रौंदवा डाली । बिना मुआवजा मिले जबरदस्ती भूमि कब्जा को लेकर किसानों में भारी आक्रोश उत्पन्न हो गया है । इसी नाराजगी को लेकर आज किसानों नें पचमों गांव में अंचलाधिकारी निकहत प्रवीन का पुतला दहन किया । मौके पर उपस्थित भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना उचित मुआवजा दिए सरकार दमन की नीति बंद करे अन्यथा इन अधिकारियों के खिलाफ हम अदालत का रूख करेंगे । श्री सिंह ने कहा कि हम इनके मनमानी रवैया और दमनकारी नीति के खिलाफ आंदोलन को और उग्र करेंगे। पचमो, परसा, नेरुआ, बेलौटी के किसान एक दो दिन के अंदर प्रभावित स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना देने का काम शुरू करने वाले हैं, वहीं जिला मुख्यालय औरंगाबाद में आगामी छे मई को किसान महाधरना के माध्यम से सरकार को चेतावनी देने का काम करेंगे !
मौके पर आये भाकियू के सदस्य राज कुमार सिंह नें सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार के पास अपने मित्र नीरव मोदी, मेहुल चौकसी,विजय माल्या, नितिन संदेसरा, जतिन मेहता, ललित मोदी, ऋषि अग्रवाल आदि को विदेश में मौज कराने के लिए अरबों खरबों है पर किसान को उसके जमीन के बदले मुआवजा देने के लिए पैसा नहीं है ! राजकुमार सिंह ने सरकार से पूछा कि जी टीवी के खरबपति मालिक सुभाष चंद्रा का सात हजार करोड़ रू का ऋण माफ करने के लिए पैसा है फिर किसानों को उचित मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा ? पचमों गांव निवासी अमरेश दुबे ने लोकतांत्रिक ब्यवस्था पर सवाल उठाते हुए संदेह व्यक्त किया कि किसान आज भी आजाद नहीं हुआ है ! उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश, बिना मुआवजा दिए भूमि पर कब्जा नहीं किया जा सकता बावजूद भारी पुलिसबल के सहारे हमारे जमीनों का कब्जा किया जा रहा है फिर किसान आजाद कैसे है ?
पुतला दहन के मौके पर बीरेंद्र सिंह, महेश सिंह, रवि दुबे, कृष्णा दुबे,अरुण दुबे, अजय दुबे,मधुसूदन प्रसाद आदि पचासों किसान उपस्थित थे ।