अम्बा ( औरंगाबाद ) खबर सुप्रभात समाचार सेवा
भारतमाला परियोजना अंतर्गत निर्माण हो रहे वाराणसी से कोलकाता तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में कुटुम्बा सीओ चंद्रप्रकाश द्वारा जबरन भूमि कब्जा को लेकर सोनबरसा गांव में सीओ और किसानों के बीच जमकर झड़प हुई ।
बाद में औरंगाबाद के एसडीएम संजय कुमार पांडेय व एडीएम… भी गांव में पहुंचकर किसानों से बात किया और

किसानों से सहयोग करने का अपील किया । किसानों ने बिना मुआवजा मिले किसी कीमत पर काम ना लगा देने का अपना संकल्प सुना दिया । किसानों का कहना था कि हमे अपने जमीन का मुआवजा नहीं मिला है और प्रशासन जबरन हमारी भूमि पर कब्जा करना चाहती है , इसके लिए प्रशासन को हमारी लाश पर डोजर चलाकर सड़क बनाना होगा । एक्सप्रेसवे निर्माण में उचित मुआवजा को लेकर किसान पिछले डेढ़ दो वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं वहीं जिला प्रशासन बिना मुआवजा दिए किसानों का जमीन कब्जा करने पर उतारू है । गत बृहस्पतिवार को नबीनगर सीओ निकहत प्रवीन भी पुलिस बल और पीएनसी कंपनी के मशीनों के साथ पचमों गांव पहुंची थी और बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण करना चाही थी पर किसानों के भारी विरोध के कारण उसे भी बैरंग वापस लौटना पड़ा था । आज सोनबरसा गांव में सीओ द्वारा जैसे ही जबरन भूमि अधिग्रहण किया जाने लगा वैसे ही यह खबर आसपास के गांवों तक जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल गई जिससे वहां बलिया , महसू, डिहरी, एरका, करमडीह , जोड़ा के किसान भी प्रभावित स्थल पर पहुंच गए जहां सीओ और एडीएम के तानाशाही रवैया के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
स्थानीय किसान नरेंद्र राय ने बताया कि हमारे गांव में अभीतक इक्के दुक्के किसानों को ही मुआवजा मिला है बावजूद प्रशासन हमारी जमीनों को कब्जा कर रही है । सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय किसान यूनियन के जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह ने बताया कि बिना मुआवजा दिए किसान का जमीन अधिग्रहण नहीं हो सकता पर यहां के प्रशासन सुप्रीम कोर्ट से भी अपने आप को बड़ा समझते हैं जो पुलिसिया दम पर हमारी जमीनों का कब्जा कर रहे हैं । जिला संयोजक श्री सिंह ने राज्य सरकार द्वारा नया दर निर्धारण और भूमि का वर्गीकरण हेतु जिले में बनी समिति की बात उठाते हुए बताया कि डीएम इसपर जल्दी पहल क्यों नहीं कर रहे , सरकार द्वारा दर निर्धारित वर्ष से हर साल दस प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्देश दिया गया पर उसका भी अभीतक कोई पालन नहीं हुआ जैसे कई सवाल अधिकारियों से किया जिसका उत्तर देने में अधिकारी अक्षम नजर आए ।
साया गांव के प्रभावित किसान अवधेश सिंह ने इसके खिलाफ आंदोलन को तेज करने का किसानों से अपील करते हुए कहा कि हम किसी कीमत पर बिना उचित मुआवजा मिले जमीन नहीं देंगे चाहे इसके लिए हमें आत्मदाह ही क्यों ना करना पड़े !
मौके पर उपस्थित भाकियू के सदस्य राजकुमार सिंह ने सरकार के मनमानी और तानाशाही रवैया के खिलाफ आवाज उठाते हुए अधिकारियों से पूछा कि जमीन का नोटिफिकेशन २०२२ में होता है मुआवजा २०२५ में मिलना है तब दर का निर्धारण २०१४ के सर्किल रेट से क्यों किया गया ? उन्होंने पूछा कि इसी अंचल में पोला डिहरी गांव के किसानों को भूमि अधिग्रहण में ३०६२० रू प्रति डिसमिल दर तय किया गया जिसका ब्याज सहित चार गुना राशि दिया गया पर हमलोगों का दर मात्र ८००० रू प्रति डिसमिल का दर किस हिसाब से किया गया ? इस मौके पर पप्पू तिवारी, विजय तिवारी, चंदन तिवारी , मनोज सिंह, अभय सिंह, आदि सैकड़ों किसान उपस्थित थे।