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नहीं बन रहा है दलित रेणु देवी का राशनकार्ड, संपन्न लोगों को राशनकार्ड बन रहा आराम से

सुनील कुमार सिंह खबर सुप्रभात समाचार सेवा


आर्थिक तंगे हाली के कारण कोई भुखा नहीं सोये, इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा गरीवों को मुफ्त राशन देने की महत्वाकांक्षी योजना चलायी गयी है। इस योजना के तहत् प्रत्येक व्यक्ति को महीनें में पाँच किलो गेहूँ एवं पाँच किलो चावल दिये जाते हैं। लेकिन इस योजना का वास्तविक लाभ

गरीब लाभुक तक नहीं पहुँच पा रहा है। ट्रक मालिक को राशन प्रति माह मिलता है, लेकिन उसी ट्रक के चालक एवं खलासी को राशन कार्ड ही नहीं बन पा रहा है जिससे राशन नहीं मिल पाता है। चार -पाँच विद्या जमीन के मालिक को राशन मिलता है, तो वहीं भूमिहीन कृषक मजदूर को नहीं । नौकरी पेशा एवं पेंशन धारी की पत्नि के नाम से सब परिवार को राशन जोड़कर मिलता है, तो वहीं बेरोजगार को नहीं। लोग स्कार्पियो, बोलेरो, टेम्पु, बाईक पर डीलर से राशन ले जाते देखे जाते हैं लेकिन बिना साईकिल वाला निराश लौट जाता है कि उसका राशन कार्ड बना ही नहीं है। आखिर इसका जिम्मेवार कौन है – – बाबा साहव का संविधान या मौजुदा सरकार की अफसरशाही व्यवस्था । ऐसा मामला पुरे औरंगाबाद जिले के प्रायः सभी प्रखंड़ो की एक जैसी ही है। लेकिन मदनपुर प्रखंड़ पहले पायदान पर है। मदनपुर प्रखंड़ के मदनपुर पंचायत के ग्राम दशवत खाप निवासी रेणु देवी पति कृष्णा रजक नें प्रेस प्रतिनिधियों को बताया कि राशन कार्ड बनानें के लिए कई बार औन लाईन आवेदन मेरे द्वारा किया गया। एक बार औन लाईन करने में 200 रुपया खर्च हो जाते हैं । चार बार से मेरा राशन कार्ड रद्द कर दिया जा रहा है। हम गरीव आदमी बकरी बेचकर औन लाईन कराती रही, लेकिन मेरा राशन कार्ड नहीं बनाया जाता है । हर बार कैंसिल कर दिया जाता है। मदनपुर औफिस में जाकर पुछते हैं तो कहता है कि – ऐसे थोड़े राशन कार्ड बनेगा । इसके लिए चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। अब हम क्या करूँ? कहाँ से चढ़ावा लाऊँ। राशन कार्ड बनवाने के चक्कर में मुझे बकरी भी बेच देनी पड़ी । अब तो कुछ है भी नहीं जिसे बेचकर चढ़ावा चढ़ाकर राशन कार्ड बनवाऊँ । गरीव को कोई सुनने वाला नहीं है – – न नेता,न ऑफिसर, और न सरकार ही । आखिर हम छुत जात की ‘ धोबीन महिला ‘ जो ठहरी । हमको राशन कार्ड बनाने से कहीं एम. ओ. साहव का औफिस न छुआ कर अपवित्र हो जायेगा । तभी तो मेरा राशन कार्ड का फार्म बार -बार रद्द कर दे रहे हैं।