नवादा से डी के अकेला की रिपोर्ट
नवादा नगर के कुंती नगर में दिनांक 6 फ़रवरी 25 को मॉडर्न शैक्षणिक समूह,नवादा द्वारा अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति की ” दशा और दिशा ” विषय पर एक विशाल विचार गोष्टी सह चिंतन शिविर का आयोजन सम्पन्न हुआ। इसके मुख्य आयोजक मॉर्डन शैक्षणिक समूह के अध्यक्ष एक जाने-माने चर्चित हस्ती, शिक्षाविद् एवम्
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समाजसेवी डॉ अनुज सिंह थे। इस ऐतिहासिक सुअवसर पर विचार गोष्टी सह चिंतन शिवित में हजारों अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति समुदाय के सक्रिय लोगों ने दिलेरी व सक्रियता से उत्साहपूर्वक भाग लिए।
ऐसे ज्वलन्त मसले पर विचार गोष्टी सह चिंतन शिविर के आयोजन का उद्देश्य और उसके दशा एवम् दिशा विषय के प्रवेश पर विस्तारपूर्वक मॉडर्न शैक्षणिक समूह के अध्यक्ष डॉ अनुज सिंह ने प्रकाश डाला। मंच के सुचारू ढंग से संचालन के लिए अनिल प्रसाद सिंह का चयन सर्वसम्मति से किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दुनिया के बेशुमार हस्ती,भारतीय संविधान के निर्माता व प्रखर विद्धान बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर के प्रतिमा पर माल्यार्पण सह पुष्पांजलि से किया गया। उक्त विषय पर डेढ़ दर्जन से ज्यादा वक्ताओं ने अपने-अपने बहुमूल्य विचारोँ को सारगर्भित तरीके से सदन में साझा किया। तमाम उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि आज के मौजूदा दौर में उक्त विषय काफी प्रासंगिक व बेहद विचारणीय है। सबों को इस ज्वलन्त विषय पर गहरी चिंतन व सघन मनन करने की वर्तमान परिस्थिति की अहम् मांग है। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि ऐसे समसामयिक विषय पर विचार गोष्टी सह चिंतन शिविर का आयोजन करना सिर्फ एक संयोग ही नहीं,बल्कि काबिले- तारीफ की बात है। सबों ने कहा कि आजादी के 78 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जन जाति की दशा बहुत ही दयनीय व हृदयविदारक है। आज भी जलालत, तंगहाली और बेचैनी की दर्दनाक जिंदगी जीने के लिए मजबूर और अभिशप्त हैं। घोर शोषण,उत्पीड़न तथा दमन की अंतहीन सिलसिला बेरोकटोक जारी है। यह समुदाय आज के मौजूदा परिस्थिति में भी सामाजिक ,आर्थिक ,राजनितिक, शैक्षणिक एवम् सांस्कृतिक तौर पर काफी पिछड़ेपन के शिकार हैं। व्यापक पैमाने पर यह समुदाय घुटन की जिंदगी जीने को वाध्य व लाचार हैं। सुख-शांति से ये पूर्णतःबंचित हैं।
जहाँ तक दिशा का सबाल है तो तो इसके लिए बाबा साहेब भीम राव अम्बेदकर ने पूर्व में ही तीन अनमोल मंत्र आखरी विकल्प के बतौर दे दिया था,जिसे हृदयतल से आज हम सबों को आत्मसात करने की सख्त जरूरत व लाजमी है। उनके तीन अमूल्य मंत्रों में से क्रमशः 1.शिक्षित हो 2.संगठित हो और 3. संघर्ष समझौताहीन करो। यही दिशा आज के दौर में अहम् व प्रासंगिक है। इसे आत्मसात किये बिना आजादी,शांति व खुशहाली कतई सम्भव नहीं है। समानता,सद्भाव व सम्मान की बातें तो मात्र कोरी बकवास,दिवास्वप्न और बेईमानी ही होगा।
मुख्य वक्ताओं में डॉ जे.पी. चौधरी,उपेन्द्र रजक,नीलम पासवान, सुनील चौधरी,कपिलदेव मांझी, शकुंतला देवी,संगीता देवी ,मुंद्रिका कुमार मनोहर,सियाशरण दास , देवराज पसवसन ,कृष्णा उर्फ़ पड़कना चौधरी ,अर्जुन चौधरी , राम विलाश मांझी ,विनोद रविदास , अर्जुन पासवान ,संतोष पासवान , दिलीप पासवान ,विनोद कुमार चौधरी ,मीणा देवी आदि थे।