हसपुरा ( औरंगाबाद ) खबर सुप्रभात समाचार सेवा
जन हुंकार आनलाइन मंच पर ‘ गणतंत्र के बढ़ते खतरे और हमारी भूमिका ‘ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो अलखदेव प्रसाद ‘अचल’ने की जबकि कार्यक्रम का संचालन युवा कवि जितेंद्र कुमार चंचल ने किया। विषय प्रवेश करते हुए प्रो. अचल ने कहा कि जहां के सभी तंत्र सरकार के इशारे पर

चलने के लिए विवश हो गए हैं। जहां संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, वहां गणतंत्र पर खतरा स्वाभाविक है। मुख्य वक्ता जलेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.अली इमाम खान ने कहा कि जिस सरकार का शासक मुसोलिनी और हिटलर के रास्ते पर चल पड़ी है, फिर गणतंत्र कैसे बच सकता है? इसके लिए जनसामान्य लोगों के साथ आंदोलित होना बहुत जरूरी है। वरिष्ठ कवि और जलेस के राज्य उपाध्यक्ष कृष्णचन्द चौधरी कमल ने कहा कि आज हमारे देश में जन को हासिए पर ढकेला जा रहा है और पूंजीपतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।जो गणतंत्र के लिए ख़तरनाक है। जलेस के प्रदेश सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि मौजूदा सरकार जनतंत्र के लिए घातक है।यह सरकार पूंजीपतियों के गठजोड़ से सत्ता पर काबिज रहना चाहती है। जिला उपाध्यक्ष डॉ श्रीनिवास ने कहा कि यह बात सही है कि जनतंत्र पर खतरे हैं,पर यह खतरे एकाएक उत्पन्न नहीं हुए हैं। सभी वक्ताओं ने देश की खुशहाली के लिए चौतरफा हमले करने पर बल दिया।
कार्यक्रम में नवादा से शंभू विश्वकर्मा, गया से अरुण हरलीवाल, अंबुज कुमार, गोपेन्द्र कुमार सिन्हा गौतम,डा राजेश कुमार विचारक,बीरेंद्र प्रसाद, सत्यदेव सिंह,प्रेम कुमार, समुन्दर सिंह, सुधीर सत्यम आनलाइन उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन साहित्यकार शंभू शरण सत्यार्थी ने किया।