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थानाध्यक्ष के मनमानी एवं लालफीताशाही से पीड़ित लोगों को समय से नहीं मिल पा रहा है न्याय, न्यायालय के आदेश भी होता है नजरंदाज


औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा


औरंगाबाद जिले में एक तरफ गुड़ पुलिसिंग को स्थापित करने तथा अपराधियों को सजा दिलाने के साथ – साथ पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात पुलिस अधीक्षक द्वारा कहा जाता है। लेकिन थानाध्यक्ष के लापरवाही एवं लालफीताशाही का नतीजा है कि वर्षों तक पीड़ित लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है। इतना ही नहीं न्यायालय के आदेश भी थानाध्यक्ष पर असर नहीं डालता है और वर्षों बित जाने के बावजूद कांड से संबंधित मामले में अंतिम रिपोर्ट और पर्यवेक्षण टिप्पणी समर्पित नहीं किया जाता है। जब न्यायालय के आदेश को भी थानाध्यक्ष द्वारा नजर अंदाज किया जाता है तो फिर आम पब्लिक के साथ क्या होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बताते चलें कि दाउदनगर थाना के थानाध्यक्ष को दो दर्जन मुकदमों में छः बर्षो में भी न्यायालय में पर्यवेक्षण टिप्पणी नहीं भेजा जा सका है। न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का उलंघन करने से थानाध्यक्ष को एक सप्ताह में सदेह उपस्थित होकर जबाब देने का निर्देश जारी किया गया है। दाउदनगर थाना इस मामले में कोई अपवाद नहीं है बल्कि सच्चाई यह है कि आए दिन न्यायालय द्वारा भिन्न-भिन्न थाना अध्यक्षों को शोकोज किया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि थाना में पदस्थापित थानाध्यक्षों का मनमानी एवं लालफीताशाही के कारण जहां अपराधियों को दण्डित करने और पीड़ित लोगों को न्याय समय से नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप पुलिस के कार्य शैली और गुड पुलिसिंग पर आम जनमानस के बीच सवाल उठ रहा है जो कि लाज्मी है।