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लाल सलाम कामरेड सीताराम येचुरी, छात्र आंदोलन से बामपंथ के चमकते सितारे तक: औरंगाबाद में भी शोक सभा का आयोजन

औरंगाबाद से अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिला मुख्यालय स्थित बैजनाथ बिगहा मोड़ पर माकपा ने सीताराम येचुरी के निधन पर शोकसभा का आयोजन शुक्रवार को किया गया। शोक सभा का नेतृत्व माकपा के जिला कमेटी के सचिव महेन्द्र प्रसाद यादव ने किया। शोक सभा में भाकपा के सीनेश राही व श्रीकांत शर्मा, भाकपा (माले) के अवधेश गीरी, नरेश मेहता व कैलाश

पासवान, राष्ट्रीय जनता दल के जिलाध्यक्ष अमरेन्द्र कुशवाहा, सीपीआई (एम) के कपील कुमार, वाजीद अंसारी, जितेन्द्र राम, बजरंगी राम, मनोज यादव आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। इसकी जानकारी माकपा जिला कमेटी की ओर से प्रेस नोट जारी कर दी गई। प्रेस नोट के अनुसार सबसे पहले 2 मीनट का मौन धारण किया गया तथा सीताराम येचुरी के तील चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर दिवंगत आत्मा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिला सचिव महेन्द्र यादव ने शोक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सीताराम येचुरी के निधन से न सिर्फ माकपा बल्कि देश में चल रहे वाम जनवादी एवं लोकतांत्रिक आंदोलनों को गहरा धक्का लगा है। देश आज प्रखर नेता को खो दिया जिसे नियर भविष्य में भरपाई नहीं हो सकता। राजद नेता ने कहा कि देश में इंडिया गठबंधन को बनाने एवं सींचने में सीताराम येचुरी का अहम योगदान था जिसे भुला नहीं जा सकता है। वहीं भाकपा व भाकपा (माले) नेताओं ने कहा कि देश में दक्षिण पंथी विचार धारा को रोकने तथा फासिस्ट ताकतों के विरुद्ध सीताराम येचुरी जिवन प्रयत्न संघर्ष करते रहे तथा अपने वसुलो व नीतियों से कभी समझौता नहीं किया। बताते चलें कि आंध्र प्रदेश के कक्कड़ में एक संपन्न ब्राम्हण परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी वे गरीबों, शोषीतों व सर्वहारा वर्गों के लिए तथा समाजिक विसंगतियों के विरुद्ध संघर्ष करते रहे। देश में आपातकाल के दौरान सीताराम येचुरी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय आयरन लेडी इंदिरा गांधी के विरुद्ध संघर्षों का धार देने का कार्य करते रहे। वे 1984 में माकपा के केन्द्रीय कमेटी तथा 1994 में माकपा के पोलितब्यूरो के सदस्य बने तथा बाद में महासचिव पद भी संभाले। 2005 से 2017 तक राज्य सभा सांसद भी रहे तथा कुशल व सर्वश्रेष्ठ सांसद के लिए पुरस्कृत भी हुए। सीताराम येचुरी अंतरराष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन में भी अपना भूमिका निभा रहे थे और इसके लिए वे विदेशों में भी अपना पहचान बना चुके थे। सीताराम येचुरी छात्र आंदोलन से अपना राजनैतिक सफर का शुरुआत कर वामपंथ का चमकते सितारे तक पहुंचे