डीके अकेला की रिपोर्ट
बिहार प्रदेश की ओर से कल 1 सितंबर 24 को कल पटना में बिहार राज्य पीयूसीएल ने एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर और मंच का संचालन प्रदेश के महासचिव सरफराज ने किया। स्वागत वक्तव्य कृष्ण मुरारी
की ओर से पेश किया गया। इस परिचर्चा में बिहार प्रदेश के विभिन्न जिले से सैकडों लोग शामिल थे। इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता के बतौर चाणक्य राष्ट्रीय विश्वविद्यालय पटना के कुलपति मो फैयाज मुस्तफा ने अपनी बात कहते हुए कहा कि सभी अपराधिक कानून सत्ता की हिफाजत के लिए संघर्षशील शक्तियों के लिए दमन हेतु सबसे कारगर व सटीक हथियार होते हैं। नये कानून बुर्जुआ वर्ग को और ताकतवर बनाने और आंदोलनकारियो को दमन करने के मुख्य उद्देश्य से मौजूदा शासक शासक वर्ग ऐसे जन विरोधी कानून बना रही है ,जो संघर्षशील वर्ग को अपमानित कर कठोरतम दंड दे। जबकि कानूनों का काम न्याय करना ही भारतीय संविधान के अनुसार ही प्रमाणिक प्रावधान है।
पीयूसीएल की ओर से राज्य के महासचिव सरफराज ने पीयूसीएल के आधार पत्र को सदन में पेश किया।जिसमें तीनों नये अपराधिक कानून की सघन समीक्षा की गई। इन 3 कानूनों में संशोधित कानूनों के अंतर्गत लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए न्यायिक आंदोलन भी करना बेहद मुश्किल हो जायगा।
जिन तीन संविधान प्रदत कानूनों में संशोधन किया गया है ,उसमें मूल रूप से भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल है।
इसके अलावे पीयूसीएल के हमदर्द पटना ला कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य ने अपनी बात कहते हुए बताया कि सरकार की मंशा आम जनता की न्यायोचित अधिकारों को मुख्य रूप से हनन करना ही है।
पीयूसीएल के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राजनीतिक और अनेक समाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने भी अपनी बातें दो टूक शब्दों में कही। इसमें पर्यावरण विद्वान गोपाल कृष्ण, चर्चित पत्रकार पुष्पराज, सत्य नारायण मदन और राधेश्याम आदि परिचर्चा में शामिल थे। इसके अलावे बिहार राज्य के विभिन्न जिले से सैकङो मानवाधिकार संगठन से जुङे लोग शामिल थे। यह परिचर्चा काफी सफल और उत्साहित करने करने वाला साबित हुआ।