तजा खबर

सैलानियों के लिये खुला ककोलत जलप्रपात, लेकिन करनी होगी जेबें ढीली-बुधवार को आये तो लौटना होगा बैरंग वापस

नवादा खबर सुप्रभात समाचार सेवा


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 03 अगस्त को किये गये लोकार्पण के बाद 4 अगस्त से सैलानियों के लिये ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात ककोलत का द्वार सैलानियों के लिये खोल दिया गया। इसके साथ ही सैलानियों का आना भी शुरू हो गया। लेकिन जलप्रपात की शीतल धारा का आनंद पूर्व की भांति मुफ्त में नहीं ले सकेंगे। इसके लिए आपको जेबें ढीली करनी होगी।


और तो और सप्ताह के बुधवार को आये तो बैरंग वापस लौटना होगा। इसके साथ ही शनिवार व रविवार को आये तो प्रवेश शुल्क दोगुना यानी प्रति व्यक्ति 20 रुपये अदा करने होंगे जबकि शेष दिनों के लिए प्रति व्यक्ति 10 रुपये अदा करने होंगे। दोपहिया , तीपहिया व इससे भी बड़ी वाहन से आये तो इसका अतिरिक्त शुल्क लगेगा सो अलग। हां! बदले में आपके वाहन की सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।
ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात को नये सिरे से बनाया गया है। उसे पर्यटकों के हिसाब से विकसित किया गया है। कैफेटेरिया और सेल्फी प्वाइंट बनाए गए हैं।
बिहार के प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों में शामिल जिले के ककोलत जलप्रपात को अब और आकर्षक बना दिया गया है। यहां पर्यटक अब सुगमता के साथ पहुंच भी सकेंगे। इस कारण माना जा रहा है कि अब यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी बृद्धि होगी।
जिले के गोविंदपुर प्रखंड थाली थाना क्षेत्र के ककोलत जलप्रपात प्रकृति का बिहार को मिला अनुपम उपहार है। यहां पर्यटक आते जरूर थे, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वे यहां पूरी तरह आनंद नहीं ले पाते थे। ककोलत का नैसर्गिक जलप्रपात, आस पास के हरे भरे जंगल और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करता रहा हैं।
पत्थर गिरने की संभावना खत्म:-
ऐतिहासिक शीतल जलप्रपात ककोलत जलप्रपात में इको टूरिज्म सुविधाओं के विकास कार्य का लोकार्पण होने से पर्यटकों को प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने में सहूलियत होगी। पहले ककोलत में पहाड़ चढ़ते वक्त हमेशा पत्थरों के गिरने की संभावना बनी रहती थी, इसके कारण लोग नियमित रूप से झरने तक नहीं पहुंच पाते थे और उन्हें चोट लगने का डर रहता था, इसलिए यहां सर्वप्रथम स्टोन स्टेबलाइजेशन का कार्य कराया गया, इसमें गिरने वाले पत्थरों को लोहे के जाल से बांध दिया गया है। अब पत्थर गिरने की संभावना खत्म हो गयी है।
सीढ़ी का किया गया निर्माण:-
ककोलत जलप्रपात तक पहुंचने के लिए 188 सीढ़ी का निर्माण कराया गया है। झरने के नीचे वाले तालाब का पुनर्निर्माण कराया गया है और इसमें सीढ़ी भी बनायी गयी है, इससे लोग आसानी से इसमें उतरकर नहा सकेंगे।
ककोलत में पत्थरों को काटकर आकर्षक भव्य मुख्य द्वार, 6 कैफेटेरिया, सेल्फी प्वाइंट, प्रशासनिक भवन, शौचालय, टिकट काउंटर, लाउंज और पर्यटन सूचना केंद्र, चिकित्सा सुविधा और पानी का कुंड बनाया गया है। यहां ईको टूरिज्म सुविधाओं एवं अन्य विकास कार्यों के चलते इसे लोगों के लिए बंद कर दिया गया था, अब यहां पर सभी ईको टूरिज्म सुविधाएं विकसित हो चुकी है। रविवार से सैलानियों का आना शुरू हो गया है।
सबसे खास बात यह कि अब पीने के पानी के लिये जलधारा के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। फिल्टर युक्त जलधारा का पानी हर जगह उपलब्ध कराया जा रहा है। और तो और ऐसे बड़े बुजुर्ग जो जलधारा तक नहीं पहुंच सकते उनके लिये जलधारा के नीचे जलप्रपात का शीतल जल युक्त तालाब का निर्माण कराया गया है।