पूर्व एमएलसी उपेन्द्र प्रसाद मेहता के कलम से
जब मैं पटना विश्वविद्यालय का छात्र नेता था। 1984 में पहली बार कर्पूरी ठाकुर के कहने पर हमें पटना विश्वविद्यालय छात्र सभा का अध्यक्ष बनाया गया और पटना विश्वविद्यालय में कई सेमिनार का आयोजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें जननायक कर्पूरी ठाकुर मुख्य अतिथि हुआ करते थे। वे जिस झोपड़ी में पैदा लिए उसी झोपड़ी से उनका अंत हुआ, या यू कहे की गुदड़ी का लाल वैसे ही व्यक्तियों के लिए कहावत प्रचलन मैं आया। उनके ईमानदारी कर्तव्य निष्ठा समाजवादी चिंतक और समाज में एक नई धारा पैदा करने का महारत उन्हें हासिल थी, जिस वजह से आज उन्हें भारत रत्न का उपाधि दिया गया।