अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात सामाचार सेवा
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ सुरेश पासवान ने कहा है कि तमाम अड़चनों एवं भाजपा के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष विरोध के बाद भी बिहार की सरकार ने जातिगत जनगणना का रिपोर्ट जारी कर दिया जो शत् प्रतिशत न सिर्फ सही है बल्कि 24 कैरेट सोना की तरह ट्रांसपेरेंट है जो अद्भुत एवं ऐतिहासिक है।
रिपोर्ट जारी होने के बाद एनडीए के कुछ तथाकथित नेताओं के द्वारा इसे फर्जी एवं आधा अधूरा बताया जा रहा है जो न सिर्फ सरासर गलत बल्कि वे पिछड़े -अति पिछडे एवं
अनुसूचित जाति-जनजाति को अपमानित कर रहे हैं इसीलिए उन्हें यह डेटा हजम नहीं हो रहा है । ऐसे नेताओं को हिम्मत है तो केन्द्र की मोदी सरकार से बिहार सहित पुरे देश में जातिगत जनगणना कराना चाहिए ताकि सच सबके सामने आ सके। लेकिन इसके लिए इनका जुबान नहीं खुलेगा क्योंकि वहां तो इनकी हालत भिंगी बिल्ली की तरह हो जाती है। बिहार की सरकार तो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर बिहार सहित देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग किया था लेकिन केंद्र सरकार ने मना कर दिया।
डॉ पासवान ने कहा है कि ऐसे बड़बोले नेताओं के द्वारा अपनी जाति की संख्या बढ़ा चढ़ाकर कर लोकसभा /विधानसभा का टिकट से लेकर अन्य कामों के लिए सौदेबाजी (बारगेनिंग) किया जाता रहा है।अब तो चूंकि सभी जातियों का आंकड़ा सार्वजनिक हो गया तो वैसे स्वयंभू नेताओं जो रातो रात जातिवादी पार्टी बनाकर जो दुकान चलाया करते थे, उनकी दुकानदारी बंद हो जाएगी।तो छटपटाहट में बोल रहे हैं कि हमारे जाति की संख्या कम कर दी गई है। वास्तविकता तो यह है कि अब जातिवादी नेतागण अपने अपने साइज में हो गए है , इनकी बारगेनिंग कैपेसिटी खत्म हो गई इसलिए ये सब अनाप-शनाप ब्यानबाजी कर रहे हैं।अब तो इधर से उधर और उधर से इधर जो फेरा लगाते रहते थे उसका भी सटर डाउन हो गया।आज तो सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि हम बिहार में जातिगत जनगणना के जारी डेटा पर रोक नहीं लगा सकते हैं। बिहार की सरकार अपने अधिकार के तहत नियमानुसार यह काम किया है। इसलिए भाजपा सहित हम के संरक्षक श्री जीतन राम मांझी हो,रालोजद के श्री उपेंद्र कुशवाहा हो, लोजपा आर के श्री चिराग पासवान हो,भीआईपी के श्री मुकेश सहनी या कोई भी जो सवाल उठा रहे हैं उन्हें अब विधवा विलाप बंद कर इसे स्वीकार करना चाहिए या केंद्र की सरकार से देश भर में जातिगत जनगणना करवाना चाहिए। ताकि दुध का दुध और पानी का पानी हो जाए।